जलवायु परिवर्तन के कारण विश्व के 50 प्रतिशत से अधिक मैंग्रोव के नष्ट होने का खतरा : आईयूसीएन

 पहले वैश्विक मैंग्रोव आकलन के निष्कर्षों के अनुसार, दुनिया के आधे से अधिक मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र के नष्ट होने का खतरा है और पांच में से एक को गंभीर खतरे का सामना करना पड़ रहा है।

‘इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) के आंकड़ों का उपयोग कर किए गए एक अध्ययन के अनुसार, जलवायु परिवर्तन से मैंग्रोव पारिस्थितिक तंत्र के एक तिहाई (33 प्रतिशत) हिस्से को खतरा है।

अध्ययन के अनुसार वनों की कटाई, विकास, प्रदूषण और बांध निर्माण मैंग्रोव के लिए गंभीर खतरा पैदा करते हैं, लेकिन समुद्र के स्तर में वृद्धि और जलवायु परिवर्तन के कारण गंभीर तूफानों की बढ़ती आवृत्ति के कारण इन पारिस्थितिक तंत्रों के लिए खतरा बढ़ गया है।

‘कुनमिंग-मॉन्ट्रियल ग्लोबल बायोडायवर्सिटी फ्रेमवर्क’’ के अनुरूप, जैव विविधता के नुकसान पर काबू पाने के लक्ष्य की दिशा में प्रगति पर नज़र रखने के लिए आईयूसीएन की पारिस्थितिक तंत्र की सूची महत्वपूर्ण है।

आईयूसीएन महानिदेशक ग्रेथेल एगुइलर ने कहा कि आकलन के निष्कर्ष से हमें उन मैंग्रोव वनों को बहाल करने के लिए मिलकर काम करने में मदद मिलेगी जो हमने खो दिए हैं और जो अब भी हमारे पास हैं, उनकी रक्षा की जाएगी।

इस अध्ययन ने दुनिया के मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र को 36 अलग-अलग क्षेत्रों में वर्गीकृत किया और प्रत्येक क्षेत्र में खतरों और पतन के जोखिम का आकलन किया।

आईयूसीएन ने 44 देशों में 250 से अधिक विशेषज्ञों की सक्रिय भागीदारी के साथ कार्य का नेतृत्व किया।

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