मध्य प्रदेश के 24 वर्षीय प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ अनीश अवधिया और अश्विनी कोष्टा की पुणे में एक दर्दनाक सड़क हादसे में मौत हो गई थी। इस घटना के बाद, उनके माता-पिता ने उच्चतम न्यायालय की निगरानी में जांच की मांग की है। यह मामला तब चर्चित हुआ जब एक 17 वर्षीय नाबालिग ने अपनी पोर्श कार से दोनों आईटी पेशेवरों की मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी थी। नाबालिग पर शराब पीकर गाड़ी चलाने का आरोप है।
दुर्घटना के बाद, नाबालिग के पिता विशाल अग्रवाल और ससून राजकीय अस्पताल के डॉ. अजय तावड़े पर सबूतों में छेड़छाड़ और खून के नमूनों की अदला-बदली का आरोप लगा। पुलिस ने बताया कि डॉ. तावड़े और मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. श्रीहरि हलनोर ने ब्लड सैंपल बदलने और सबूत नष्ट करने के लिए तीन लाख रुपये लिए थे। यह राशि डॉ. तावड़े ने अपने या किसी और के माध्यम से दी थी, इस पर भी जांच जारी है।
19 मई को हुए इस हादसे में, आईटी विशेषज्ञ अनीश अपने साथी अश्विनी को घर छोड़ने जा रहे थे, तभी नाबालिग ने अपनी पोर्श कार से उनकी मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी। दोनों की मौके पर ही मौत हो गई थी। पुलिस के अनुसार, आरोपी नाबालिग बिना रजिस्ट्रेशन वाली कार को 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चला रहा था और वह नशे में था।
घटना के बाद, आरोपी नाबालिग को पहले हिरासत में लिया गया और फिर जुवेनाइल कोर्ट से जमानत मिल गई थी। हालांकि, बाद में उसकी जमानत रद्द कर दी गई और उसे बाल सुधार गृह भेजा गया। इस मामले में आरोपी के पिता और दादा की भी गिरफ्तारी हो चुकी है।
मामले की जांच में पता चला कि नाबालिग के ब्लड सैंपल को कूड़े में फेंक दिया गया था और उसकी जगह किसी और का ब्लड सैंपल फोरेंसिक लैब को भेजा गया। इस संबंध में सरकारी चिकित्सक डॉ. अजय तावड़े और डॉ. श्रीहरि हलनोर को गिरफ्तार कर लिया गया है।
अनीश अवधिया और अश्विनी कोष्टा के माता-पिता ने इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है और उच्चतम न्यायालय से इस पर निगरानी रखने का अनुरोध किया है। उनकी मांग है कि इस दुर्घटना की सही और पारदर्शी जांच हो और दोषियों को कड़ी सजा मिले।
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