परिचय
बिहार, एक ऐसा राज्य जो अपनी सांस्कृतिक धरोहर और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है, आजकल एक अन्य कारण से चर्चा में है। पिछले 17 दिनों में 12 पुलों के गिरने की घटनाएं लोगों को हैरान कर रही हैं। यह समझना आवश्यक है कि आखिरकार इस समस्या के पीछे क्या कारण हो सकते हैं और इससे बिहार की छवि और लोगों की सुरक्षा पर क्या प्रभाव पड़ रहा है।
पुलों की गिरावट के संभावित कारण
- निर्माण गुणवत्ता में कमी: यह सर्वविदित है कि निर्माण कार्य में गुणवत्तापूर्ण सामग्री का उपयोग नहीं किया जाता है। सस्ती सामग्री जैसे निम्न गुणवत्ता का सीमेंट, पतली स्टील की छड़ें और अनुचित मात्रा में सैंड का उपयोग पुल की मजबूती को कमजोर कर देता है।
- अचानक से गिरावट का कारण: अचानक से इतने पुलों के गिरने का एक प्रमुख कारण यह हो सकता है कि हाल ही में हुई भारी बारिश और बाढ़ ने पुलों की कमजोर नींव को और अधिक प्रभावित किया।
- अंडर कंस्ट्रक्शन पुलों का गिरना: यह चिंता का विषय है कि तीन अंडर कंस्ट्रक्शन पुल भी गिर गए हैं। इसका मतलब यह है कि निर्माण कार्य के दौरान ही गुणवत्ता की अनदेखी की जा रही है।
पुलों का जिम्मा किसका?
बिहार सरकार में दो विभाग हैं जो पुलों की देखभाल और निर्माण के लिए जिम्मेदार हैं:
- रोड कंस्ट्रक्शन डिपार्टमेंट: यह विभाग उच्च मूल्य वाले पुलों और प्रमुख जिला सड़कों, राज्य और राष्ट्रीय राजमार्गों की देखभाल करता है।
- रूरल वर्क्स डिपार्टमेंट: यह विभाग प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत गांवों को ब्लॉक हेड क्वार्टर से जोड़ने के लिए सड़कों का निर्माण करता है।
विश्लेषण और विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञों का मानना है कि पुलों की गिरावट का कारण केवल निर्माण की गुणवत्ता नहीं है, बल्कि अन्य गहरे कारण भी हो सकते हैं:
- डिसिल्टेशन की समस्या: सरकार द्वारा हाल ही में की गई ड्रेजिंग (मिट्टी हटाना) ने पुलों की नींव को कमजोर कर दिया। पुलों के पिलर के आसपास की मिट्टी हटाने से उनकी मजबूती कम हो गई और भारी बारिश के कारण ये पुल गिर गए।
- पुराने पुलों की स्थिति: अधिकांश पुल बहुत पुराने हैं, जिनकी नींव शैलो (कम गहरी) है। नए पुलों की तुलना में ये अधिक कमजोर होते हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रिया और जनमत
राजनीतिक दलों ने इस मुद्दे को लेकर सरकार की आलोचना की है। तेजस्वी यादव ने इस मामले को उठाया और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस समस्या पर चुप्पी साधे हुए हैं। इस समस्या को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक पीआईएल (सार्वजनिक हित याचिका) भी दाखिल की गई है, जिसमें पुलों का स्ट्रक्चरल ऑडिट करने की मांग की गई है।
निष्कर्ष
बिहार के पुलों की गिरावट एक गंभीर समस्या है जो न केवल राज्य की छवि को धूमिल कर रही है बल्कि लोगों की सुरक्षा को भी खतरे में डाल रही है। निर्माण कार्य में गुणवत्ता की कमी, अनुचित ड्रेजिंग और पुराने पुलों की स्थिति इसके प्रमुख कारण हो सकते हैं। इस समस्या को हल करने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। स्ट्रक्चरल ऑडिट और उच्च गुणवत्ता की सामग्री का उपयोग, पुलों की नियमित देखभाल और निगरानी करना आवश्यक है। बिहार जैसे बाढ़ प्रभावित राज्य में मजबूत और सुरक्षित पुलों का होना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
सरकार को चाहिए कि वे इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करें और पुलों की मजबूती और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाएं। इससे न केवल राज्य की छवि में सुधार होगा, बल्कि लोगों का विश्वास भी बहाल होगा।
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