नई दिल्ली: विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने 11 जून को विदेश मंत्री का कार्यभार संभालते हुए पाकिस्तान और चीन के साथ भारत के संबंधों पर महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और चीन के साथ संबंधों की प्रकृति और समस्याएं अलग-अलग हैं, इसलिए सरकार का दृष्टिकोण भी दोनों देशों के लिए अलग है।
चीन के साथ सीमा विवाद का समाधान प्राथमिकता
डॉ. जयशंकर ने कहा कि सरकार का मुख्य जोर चीन के साथ सीमा विवाद का समाधान निकालने पर है। उन्होंने कहा, “हम चीन के साथ सीमा विवाद का शांतिपूर्ण समाधान निकालने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
पाकिस्तान पर भारत की स्पष्ट नीति
पाकिस्तान को लेकर जयशंकर ने भारत की नीति को स्पष्ट करते हुए कहा, “जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को भारत के खिलाफ इस्तेमाल करता है, तब तक दोनों देशों के रिश्ते अच्छे नहीं हो सकते।” उन्होंने कहा कि भारत की नीति पाकिस्तान के संदर्भ में स्पष्ट और सख्त है।
वैश्विक चुनौतियों का सामना
जयशंकर ने कहा कि उनके कार्यकाल के दौरान भारत ने कई वैश्विक चुनौतियों का सामना किया है, जिसमें रूस-यूक्रेन संघर्ष, इजरायल-हमास युद्ध और कोविड-19 महामारी शामिल हैं। उन्होंने कहा, “हम सभी को पूरा विश्वास है कि यह हमें ‘विश्व बंधु’ के रूप में स्थापित करेगा, एक ऐसा देश जो बहुत ही अशांत और विभाजित दुनिया में है।”
प्रधानमंत्री मोदी की लीडरशिप पर जोर
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लीडरशिप की प्रशंसा करते हुए कहा, “पीएम मोदी के नेतृत्व में देश ‘इंडिया फर्स्ट’ की नीति पर आगे बढ़ रहा है। इस नेतृत्व में मंत्रालय जन-केंद्रित मंत्रालय बन गया है।”
विदेश मंत्री बनने से पहले की भूमिका
2019 में विदेश मंत्री बनने से पहले, जयशंकर 2015 से 2018 तक भारत के विदेश सचिव के पद पर कार्यरत थे। वह पहले ऐसे विदेश सचिव हैं जिन्होंने बाद में विदेश मंत्री का कार्यभार संभाला। उनके नेतृत्व में भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी स्थिति को मजबूत किया है।
इस प्रकार, विदेश मंत्री के रूप में एस. जयशंकर का कार्यकाल कई महत्वपूर्ण वैश्विक घटनाओं और चुनौतियों के बीच महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला रहा है। उनके नेतृत्व में भारत ने अपनी विदेश नीति को मजबूत और स्पष्ट दिशा प्रदान की है।
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