हाल ही में दिल्ली में एक बेहद हैरान करने वाला मामला सामने आया। रिधिमा भटनागर नाम की एक महिला के दस वर्षीय बेटे को डायबिटीज का पता चला। यह खबर अपने आप में ही चौंकाने वाली थी, लेकिन जब डॉक्टर्स ने उसके बेटे की मेडिकल हिस्ट्री पूछी, तब यह तथ्य सामने आया कि उसकी मेड ने उसे हमेशा प्रोसेस्ड बेबी फूड खिलाया था। दूसरी ओर, रिधिमा के बड़े बेटे, जो अब 16 साल का है, को उसकी दादी ने घर का खाना खिलाया था, और वह पूरी तरह से स्वस्थ था।
यह मामला केवल एक अपवाद नहीं है। 2015 में, फोटस लैब द्वारा किए गए एक सर्वे में, पैन इंडिया से लिए गए 177,000 बच्चों के सैंपल्स में से 66 प्रतिशत बच्चों के रक्त में उच्च स्तर की शुगर पाई गई। यह भी पाया गया कि इन बच्चों को प्रोसेस्ड बेबी फूड खिलाया जा रहा था। यह डेटा इस बात की पुष्टि करता है कि प्रोसेस्ड बेबी फूड के कारण हमारे बच्चों में डायबिटीज तेजी से फैल रही है।
प्रोसेस्ड फूड के खतरे
सिर्फ बेबी फूड ही नहीं, आजकल हम जो खाना खाते हैं, वह भी हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक हो सकता है। एक उदाहरण के तौर पर, 2018 में ताइवान में एक लड़के को कैंसर हो गया था क्योंकि उसने लगातार कई सालों तक इंस्टेंट नूडल्स खाए थे। इसी तरह, यूके में एक व्यक्ति की मृत्यु का कारण बना उसका ब्रेकफास्ट, जिसमें वह रेडी-टू-ईट सीरियल्स खाता था।
ब्राजील में तो हद ही हो गई। इस देश में एक ही साल में 57,000 लोगों की मौत हो गई, और इन्वेस्टिगेशन में पाया गया कि ये सभी मौतें प्रोसेस्ड फूड के कारण हुई थीं। हमारे खाने में प्रोसेस्ड फूड का हिस्सा लगभग 30 प्रतिशत है, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है।
प्रोसेस्ड फूड में छिपे केमिकल्स
बेबी फूड, ब्रेकफास्ट सीरियल्स, और यहां तक कि हेल्दी प्रोटीन पाउडर तक, इन सभी प्रोडक्ट्स में हानिकारक केमिकल्स होते हैं। उदाहरण के लिए, सरलक, एक प्रमुख बेबी फूड ब्रांड, हर सर्विंग में 2.7 ग्राम शुगर पाउडर होता है। इसी तरह, जॉनसन एंड जॉनसन के बेबी पाउडर्स में कार्सिनोजेनिक केमिकल्स पाए गए हैं, जो बच्चों में कैंसर पैदा कर सकते हैं।
प्रोटीन पाउडर्स और अन्य हेल्दी प्रोडक्ट्स
प्रोटीन पाउडर्स का सेवन भी बेहद खतरनाक हो सकता है। कर्नाटका में एक युवा लड़के की प्रोटीन पाउडर खाने के बाद मृत्यु हो गई थी। इसके अलावा, केरला के राजगिरी हॉस्पिटल ने 36 प्रोटीन पाउडर्स का परीक्षण किया और पाया कि इनमें से 70 प्रतिशत प्रोडक्ट्स में गलत जानकारी दी गई थी, और 22 प्रतिशत में कार्सिनोजेनिक केमिकल्स पाए गए थे।
प्रोसेस्ड फूड के विकल्प
न सिर्फ प्रोसेस्ड फूड, बल्कि अन्य कई आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले प्रोडक्ट्स भी हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, इंस्टेंट नूडल्स में बिसफिनोल ए का उपयोग किया जाता है, जो कैंसर का कारण बन सकता है। इसी तरह, कई प्रोडक्ट्स में फ्लेवर के लिए एडेड शुगर और एस्परजीन का उपयोग किया जाता है, जो अल्टीमेटली एक्रिलमाइड नामक केमिकल को उत्पन्न करते हैं, जो कैंसर का कारण बन सकता है।
सरकारी नीतियां और हमारी जिम्मेदारी
हमारी सरकार ने इन समस्याओं का समाधान करने के लिए अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। हालांकि, अन्य देशों ने इस दिशा में कई प्रभावी कदम उठाए हैं। उदाहरण के लिए, जापान में ‘मेटाबो लॉ’ लागू है, जिसके तहत वहां की सरकार लोगों के वजन और स्वास्थ्य की नियमित जांच करती है। इसी तरह, फ्रांस में फूड प्रोडक्ट्स पर न्यूट्री स्कोर लेबलिंग होती है, जिससे लोग आसानी से यह जान सकते हैं कि कौन सा प्रोडक्ट हेल्दी है और कौन सा नहीं।
भारत में भी हमें अपने खाने की गुणवत्ता पर ध्यान देना होगा और प्रोसेस्ड फूड से बचना होगा। हमें अपने बच्चों को हेल्दी घर का बना खाना खिलाना चाहिए और प्रोसेस्ड फूड से दूरी बनानी चाहिए। इससे न सिर्फ हमारे बच्चों का स्वास्थ्य बेहतर होगा, बल्कि हम भी कई गंभीर बीमारियों से बच सकेंगे।
निष्कर्ष
हमारे खाने में प्रोसेस्ड फूड का हिस्सा बढ़ता जा रहा है, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है। हमें अपने खाने की गुणवत्ता पर ध्यान देना होगा और प्रोसेस्ड फूड से बचना होगा। सरकार को भी इस दिशा में कड़े कदम उठाने होंगे ताकि हमारे खाने की गुणवत्ता में सुधार हो सके। हमें अपने बच्चों को हेल्दी घर का बना खाना खिलाना चाहिए और प्रोसेस्ड फूड से दूरी बनानी चाहिए।
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