आजकल के 20-22 साल के लड़कों को देखिए, चाहे वो आपके आसपास हों या सोशल मीडिया पर, और फिर 30-40 साल पहले के लड़कों से उनकी तुलना कीजिए। आप एक बड़ी अंतर देखेंगे। पहले के लड़के शारीरिक और मानसिक रूप से अधिक मज़बूत होते थे। यह एक गंभीर मुद्दा है, जिस पर बहुत कम चर्चा होती है, इसलिए मैंने इस पर एक विशेष रिपोर्ट बनाने का सोचा है।
कमज़ोर होते आधुनिक पुरुष: एक गहन विश्लेषण
आधुनिक समय में पुरुषों में मोटापा, चिंता, और निर्भीकता बढ़ रही है, लेकिन यौन इच्छाशक्ति और शुक्राणु की संख्या में गिरावट हो रही है। यह चिंता का विषय है। 30-40 साल पहले, 28-30 साल के युवा युद्ध लड़ने जाते थे, और आज कमर दर्द की शिकायत करते हैं। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, लेकिन एक प्रमुख कारण है टेस्टोस्टेरोन का निम्न स्तर।
टेस्टोस्टेरोन एक महत्वपूर्ण हार्मोन है, जो पुरुषों में मांसपेशियों की वृद्धि, यौन इच्छाशक्ति, दाढ़ी, शुक्राणु उत्पादन, और हड्डियों की मजबूती को नियंत्रित करता है। यह हार्मोन युवावस्था के समय अधिकतम होता है, लेकिन 30 साल की उम्र के बाद इसमें गिरावट शुरू हो जाती है। आजकल, औसतन पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन का स्तर पिछली पीढ़ी की तुलना में कम है।
कम होते टेस्टोस्टेरोन के प्रभाव
2007 में एक अध्ययन प्रकाशित हुआ, जिसने सभी को चौंका दिया। इस अध्ययन के अनुसार, 1980 से अब तक, पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन का स्तर हर साल 1% की दर से घट रहा है। इसके साथ ही, 2017 की एक रिपोर्ट में पाया गया कि 1973 से 2011 के बीच औसत शुक्राणु संख्या में 50-60% की गिरावट आई है। यह एक गंभीर स्थिति है, और अगर यही चलता रहा, तो दुनिया की जनसंख्या में भारी गिरावट आ सकती है।
कम टेस्टोस्टेरोन का मानसिक और शारीरिक प्रभाव
टेस्टोस्टेरोन की कमी के कारण व्यक्ति मानसिक और शारीरिक रूप से कमजोर होने लगता है। 2016 के एक अध्ययन में पाया गया कि 1985 में 20-34 साल के पुरुषों की ग्रिप स्ट्रेंथ 117 पाउंड थी, जो अब 98 पाउंड हो गई है।
टेस्टोस्टेरोन के कम होने के कारण
- जीवनशैली में बदलाव: पहले की पीढ़ी का जीवनशैली अधिक सक्रिय और शारीरिक श्रम पर आधारित थी। आजकल की बैठने वाली जीवनशैली और जंक फूड के कारण मोटापा बढ़ रहा है, जो टेस्टोस्टेरोन के स्तर को कम करता है।
- विटामिन D की कमी: विटामिन D की कमी भी टेस्टोस्टेरोन के स्तर को प्रभावित करती है। आजकल के लोग धूप में कम समय बिताते हैं, जिससे विटामिन D की कमी हो जाती है।
- शराब और धूम्रपान: आजकल के युवा अधिक शराब और धूम्रपान करते हैं, जो टेस्टोस्टेरोन के स्तर को कम करता है।
- प्रोसेस्ड फूड और ट्रांस फैट: आधुनिक आहार में प्रोसेस्ड फूड और ट्रांस फैट की अधिकता भी टेस्टोस्टेरोन के स्तर को प्रभावित करती है।
- तनाव: आधुनिक जीवन का तनाव भी टेस्टोस्टेरोन के स्तर को कम करता है।
- प्रदूषण: माइक्रोप्लास्टिक्स, थैलेट्स, और पैराबेन्स जैसे प्रदूषकों का हमारे शरीर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ाने के उपाय
- शारीरिक व्यायाम: वेट लिफ्टिंग और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग से मांसपेशियों का निर्माण करें।
- पर्याप्त नींद: कम से कम 8 घंटे की नींद लें।
- धूप में समय बिताएं: विटामिन D की कमी को पूरा करने के लिए नियमित रूप से धूप में समय बिताएं।
- स्वस्थ आहार: प्रोसेस्ड फूड और ट्रांस फैट को कम करें, और पोषक तत्वों से भरपूर आहार लें।
- तनाव प्रबंधन: ध्यान, योग, और अन्य तनाव प्रबंधन तकनीकों का उपयोग करें।
- अल्कोहल और धूम्रपान से परहेज: शराब और धूम्रपान का सेवन कम करें या पूरी तरह बंद करें।
- रोजमर्रा के रसायनों से बचें: प्लास्टिक और अन्य हानिकारक रसायनों के संपर्क को कम करें।
आधुनिक पुरुषों के लिए यह आवश्यक है कि वे अपने स्वास्थ्य और जीवनशैली पर ध्यान दें। उपरोक्त उपायों को अपनाकर, वे अपने टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ा सकते हैं और शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रह सकते हैं।
सन्दर्भ :-