केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को एक रैली में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) के विरोध प्रदर्शनों का जिक्र करते हुए कहा कि “पीओके भारत का हिस्सा है, और हम इसे लेकर रहेंगे।” सेराम्पोर में आयोजित इस रैली में शाह ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि मणिशंकर अय्यर जैसे कांग्रेस नेता पाकिस्तान के परमाणु बम का हवाला देकर पीओके पर कब्जे का समर्थन नहीं करते। लेकिन शाह ने दृढ़ता से कहा कि पीओके भारत का अभिन्न हिस्सा है और भारत इसे वापस लेगा।
अमित शाह ने अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद कश्मीर में शांति लौटने की बात कही। उन्होंने बताया कि अब पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं और आज़ादी के नारे लग रहे हैं। शाह ने कांग्रेस नेताओं पर तंज कसते हुए कहा कि वे पाकिस्तान के परमाणु बम से डरते हैं, लेकिन यह डर भारत की संप्रभुता और अखंडता के आड़े नहीं आना चाहिए।
उन्होंने कहा कि वर्तमान लोकसभा चुनाव ईमानदार नेता नरेंद्र मोदी और भ्रष्ट इंडी गठबंधन के नेताओं के बीच का चुनाव है। शाह ने मोदी की ईमानदारी की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनके खिलाफ कभी भी एक पैसे का भी भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा।
शाह ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आलोचना करते हुए कहा कि उन्होंने घुसपैठियों के समर्थन में रैलियां निकालकर अपने वोट बैंक को खुश किया है। उन्होंने बंगाल की जनता से यह निर्णय करने को कहा कि वे घुसपैठियों को चाहते हैं या शरणार्थियों के लिए नागरिकता संशोधन कानून (CAA) का समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा कि बंगाल को यह तय करना है कि वह जिहाद के लिए वोट करना चाहता है या विकास के लिए।
इस बीच, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में गेहूं के आटे, बिजली की ऊंची कीमतों और अधिक कर के खिलाफ चल रही पूर्ण हड़ताल सोमवार को चौथे दिन भी जारी रही। इस स्थिति के चलते पाकिस्तान सरकार को अशांति को नियंत्रित करने के लिए 23 अरब रुपये आवंटित करने पड़े। विवादित क्षेत्र में पुलिस और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के बीच झड़पों में एक पुलिस अधिकारी की मौत हो गई और 100 से अधिक लोग घायल हो गए।
पीओके के कार्यकर्ता अमजद अयूब मिर्जा ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद की अपील करते हुए कहा कि इंटरनेट पूरी तरह बंद है और हमारे लोग मर रहे हैं। उन्होंने भारत सरकार से भी स्थिति पर ध्यान देने का अनुरोध किया।
शाह के इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि भारत की मौजूदा सरकार पीओके को वापस लेने के लिए दृढ़ संकल्पित है और इस मुद्दे पर किसी भी तरह का समझौता नहीं करेगी। यह बयान कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के लिए एक स्पष्ट संदेश है कि राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं होगा।