छात्रों के भोजन-शिक्षा के लिए एकत्र राशि को अन्य काम में लगाने वाले धर्मार्थ समूह पर ईडी की छापेमारी

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को कहा कि तेलंगाना के धर्मार्थ समूह (चैरिटी ग्रुप) के खिलाफ छापेमारी में पाया गया कि गरीब बच्चों के लिए भोजन और शिक्षा के नाम पर आंशिक तौर पर घरेलू दानदाताओं से एकत्र किये गए करीब 300 करोड़ रुपये मूल्य के विदेशी कोष को ‘अनधिकृत’ उद्देश्य के लिए ‘डायवर्ट’ (अन्य काम में लगाना) कर दिया गया।

नयी दिल्ली, 25 जून प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को कहा कि तेलंगाना के धर्मार्थ समूह (चैरिटी ग्रुप) के खिलाफ छापेमारी में पाया गया कि गरीब बच्चों के लिए भोजन और शिक्षा के नाम पर आंशिक तौर पर घरेलू दानदाताओं से एकत्र किये गए करीब 300 करोड़ रुपये मूल्य के विदेशी कोष को ‘अनधिकृत’ उद्देश्य के लिए ‘डायवर्ट’ (अन्य काम में लगाना) कर दिया गया।

संघीय एजेंसी ने एक बयान में कहा कि 21-22 जून को हैदराबाद और उसके आसपास धर्मार्थ समूह ‘ऑपरेशन मोबिलाइजेशन’ (ओएम) और उसके प्रमुख पदाधिकारियों के 11 परिसर पर छापेमारी की गई।

धन शोधन का मामला राज्य पुलिस की सीआईडी की ओर से दर्ज प्राथमिकी पर आधारित है। प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि धर्मार्थ समूह और अन्य ने दलित और वंचित बच्चों को मुफ्त शिक्षा और भोजन उपलब्ध कराने के नाम पर अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना, डेनमार्क, जर्मनी, फिनलैंड, आयरलैंड, मलेशिया, नॉर्वे, ब्राजील, चेक गणराज्य, फ्रांस, रोमानिया, सिंगापुर, स्वीडन और स्विट्जरलैंड में स्थित विदेशी दानदाताओं से लगभग 300 करोड़ रुपये की धनराशि जुटाई है।

प्राथमिकी के अनुसार, ये बच्चे उस समूह द्वारा संचालित 100 से अधिक गुड शेफर्ड स्कूलों में पढ़ रहे थे, जिस पर संपत्ति निर्माण और अन्य ‘अनधिकृत’ उद्देश्यों के लिए उक्त धनराशि को ‘डायवर्ट’ (धनराशि को दूसरे काम में लगाना) करने का आरोप है।

सीआईडी ​​जांच में पाया गया कि छात्रों के प्रायोजन (स्पांसरशिप) के तथ्य को छिपाकर प्रति माह 1,000 रुपये से लेकर 1,500 रुपये तक की ट्यूशन और अन्य फीस छात्रों से एकत्र की गई और काफी धन को सावधि जमा में डाल दिया गया या ओएम समूह की अन्य संबंधित संस्थाओं में भेज दिया गया।

ईडी ने आरोप लगाया, ‘‘शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत सरकार से भी धन प्राप्त किया गया था, लेकिन इसे ठीक से दर्ज नहीं किया गया और अन्य आय को बहीखाते में बहुत कम बताया गया।’’

इसमें कहा गया कि एक जांच में पाया गया कि कई संदिग्ध लेन-देन से पता चलता है कि ‘ओएम’ समूह की धर्मार्थ संस्थाओं के धन का ‘डायवर्जन’ किया गया और समूह के प्रमुख पदाधिकारियों की कई अचल संपत्तियां तेलंगाना, गोवा, केरल, कर्नाटक और महाराष्ट्र में हैं।

ईडी ने कहा कि समूह के पदाधिकारी गोवा की मुखौटा संस्थाओं के साथ सलाहकार के रूप में कार्यरत थे और वेतन प्राप्त कर रहे थे।

एजेंसी ने कहा कि तलाशी में ‘डिजिटल उपकरण, ‘गुप्त’ लेनदेन के रिकॉर्ड, संपत्तियों और बेनामी कंपनियां से जुड़े और अन्य तरह के ‘आपत्तिजनक’ दस्तावेज जब्त किये गये हैं।

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