पापुआ न्यू गिनी में भूस्खलन प्रभावितों को भारत से 1 मिलियन डॉलर की सहायता

नई दिल्ली: भारत ने पापुआ न्यू गिनी में हुए बड़े पैमाने पर भूस्खलन के प्रभावितों को राहत और सहायता प्रदान करने के लिए 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर की तत्काल वित्तीय सहायता की घोषणा की है। यह घोषणा मंगलवार को की गई, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि भारत इस कठिन समय में प्रशांत द्वीपीय देश को हरसंभव सहायता देने के लिए तत्पर है।

भूस्खलन की घटना: द्वीप राष्ट्र के एंगा प्रांत में 24 मई को भीषण भूस्खलन हुआ, जिसमें सैकड़ों लोग दब गए और भारी तबाही हुई। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, इस भूस्खलन में 2,000 से अधिक लोग मारे गए।

भारत की सहायता: भारत-प्रशांत द्वीप सहयोग मंच (एफआईपीआईसी) के तहत एक करीबी मित्र और साझेदार के रूप में तथा पापुआ न्यू गिनी के मैत्रीपूर्ण लोगों के साथ एकजुटता के संकेत के रूप में, भारत सरकार ने राहत, पुनर्वास और पुनर्निर्माण प्रयासों का समर्थन करने के लिए 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर की तत्काल राहत सहायता प्रदान की है।

विदेश मंत्री का बयान: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को कहा कि भारत इस कठिन समय में पापुआ न्यू गिनी के लोगों के साथ एकजुटता से खड़ा है। उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा, “पापुआ न्यू गिनी में हाल ही में हुए भूस्खलन के कारण हुई जानमाल की हानि से मैं बहुत दुखी हूं। हमारी संवेदनाएं सरकार और लोगों के साथ हैं। भारत इस कठिन समय में अपने मित्रों के साथ एकजुटता से खड़ा है।”

भारत की प्रतिबद्धता: विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत 2018 में आए भूकंप और 2019 और 2023 में ज्वालामुखी विस्फोटों के मद्देनजर प्राकृतिक आपदाओं के कारण उत्पन्न कठिनाई और तबाही के समय पापुआ न्यू गिनी के साथ मजबूती से खड़ा रहा है। बयान में कहा गया, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नवंबर 2019 में घोषित भारत की हिंद-प्रशांत महासागर पहल (आईपीओआई) का एक महत्वपूर्ण स्तंभ आपदा जोखिम न्यूनीकरण और प्रबंधन है।” इसमें यह भी कहा गया है कि भारत मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) के लिए प्रतिबद्ध है और एक जिम्मेदार और दृढ़ प्रतिक्रियाकर्ता बना हुआ है।

इस सहायता के साथ, भारत ने एक बार फिर से अपनी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित किया है कि वह प्राकृतिक आपदाओं के समय अपने मित्र देशों के साथ खड़ा है और हरसंभव मदद के लिए तैयार है।

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