अगस्त 2023 में हुए तख्ता पलट और शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद बांग्लादेश में हिंदू समुदाय की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। बांग्लादेश के हिंदू समुदाय, जो पहले से ही अल्पसंख्यक है, अब अपने ही घरों में सुरक्षित महसूस नहीं कर रहा है। सरकारी सेवाओं में कार्यरत हिंदू कर्मचारियों पर नौकरी छोड़ने का दबाव बढ़ता जा रहा है। ताजा खबरों के अनुसार, बांग्लादेश में सरकारी सेवाओं में कार्यरत हिंदू कर्मचारियों की जानकारी एकत्र कर एक सूची तैयार की जा रही है, जो स्थिति की गंभीरता को दर्शाती है।
स्थिति तब और बिगड़ गई जब बांग्लादेश-भारत सीमा पर बीएसएफ जवानों और बांग्लादेशी सुरक्षा बलों के बीच तनाव उत्पन्न हुआ। इस विवाद की जड़ तब गहरी हुई जब बांग्लादेशी सैनिकों ने एक निर्दोष 13 वर्षीय हिंदू लड़की की हत्या कर दी, जो सीमा क्षेत्र में रह रही थी। इस घटना ने दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है। भारतीय सीमा पर तैनात बीएसएफ जवानों ने भी बांग्लादेशी सैनिकों द्वारा लगातार उकसावे की घटनाओं की सूचना दी है।
बांग्लादेश की वर्तमान सरकार द्वारा पाकिस्तान से किए जा रहे रक्षा सौदे भी भारत के लिए चिंता का विषय बने हुए हैं। इन सौदों से क्षेत्रीय सुरक्षा संतुलन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जो भारतीय हितों के खिलाफ हो सकता है।
हालिया रिपोर्टों के अनुसार, बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर बढ़ते अत्याचार, जबरन धर्मांतरण और उन पर लगाए जा रहे दबावों ने नई दिल्ली को चिंतित कर दिया है। इन घटनाओं से यह स्पष्ट हो रहा है कि बांग्लादेशी सरकार का मौजूदा रुख भारत के हितों के अनुकूल नहीं है और भारत-बांग्लादेश संबंधों में खटास आने की संभावना बढ़ रही है।
भारत के लिए यह समय महत्वपूर्ण हो सकता है, क्योंकि बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे अत्याचारों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कदम उठाने की मांग तेज हो सकती है।