फाइनली भारत का प्रोजेक्ट जोरावर सफल हो गया है। आई डोंट नो आप में से कितने लोगों को याद है, पर ठीक 2 साल पहले, अगस्त 2022 में मैंने एक वीडियो बनाया था रिगार्डिंग प्रोजेक्ट जोरावर। और देखिए, अब खबर यह आई है कि डीआरडीओ द्वारा अनवील किया गया है लाइट बैटल टैंक, जिसका नाम जोरावर रखा गया है।
यह प्रोजेक्ट भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि चीन के साथ जब भी बॉर्डर इश्यूज आते हैं, तो वह बॉर्डर काफी ऊँचाई पर होता है। वहां पर भारी टैंकों को चलाना मुश्किल होता था और इस कारण चीन को एडवांटेज मिल जाता था। लेकिन अब, भारत के द्वारा खुद का बनाया हुआ यह लाइट टैंक काफी मददगार साबित होगा। डीआरडीओ (डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन) द्वारा गुजरात के हजीरा में इस लाइट बैटल टैंक जोरावर को अनवील किया गया है। इसे डीआरडीओ और एलएनटी (लार्सन एंड टर्बो) ने संयुक्त रूप से बनाया है।
डीआरडीओ के चीफ समीर वी कामत ने इसे एक मोमेंटस डे बताया है और कहा है कि इतने छोटे पीरियड में, दो ढाई साल के अंदर तैयार करना आसान काम नहीं था। इस टैंक का डिजाइन तैयार किया गया है और पहला प्रोटोटाइप भी तैयार कर लिया गया है। अब यह प्रोटोटाइप फर्द डेवलपमेंट ट्रायल्स के लिए भेजा जाएगा और उसके बाद यूजर ट्रायल्स के लिए भेजा जाएगा। संभावना है कि 2027 तक यह टैंक भारतीय सेना में तैनात हो जाएगा।
जोरावर का महत्व
यह टैंक भारत की सेना की आवश्यकता के अनुसार बनाया गया है, विशेषकर ईस्टर्न लद्दाख सेक्टर में। लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर चीन के साथ हुए कई घटनाओं के बाद, इस टैंक का महत्व और भी बढ़ गया है। यह टैंक चीन के खिलाफ मुकाबले में काफी मददगार साबित होगा।
जोरावर का नाम और इतिहास
जोरावर टैंक का नाम 19वीं सदी के डोगरा जनरल जोरावर सिंह के नाम पर रखा गया है। उन्होंने लद्दाख और वेस्टर्न तिब्बत में एक मिलिट्री एक्सपेडिशन किया था और उन्हें कंकर ऑफ लद्दाख भी कहा जाता है।
टैंक के फीचर्स
जोरावर एक लाइट वेट टैंक है, जिसका वजन वर्तमान टैंक t720 के आधे के बराबर है। इसकी एक विशेषता यह है कि यह एंफीबियस कैपेबिलिटी रखता है, यानी यह पानी के अंदर और जमीन पर दोनों पर चल सकता है। यह टैंक स्टीप क्लाइम्स, नदियों को क्रॉस करने जैसी कई चुनौतियों को पार कर सकता है।
डीआरडीओ टैंक लैब डायरेक्टर राजेश कुमार ने बताया कि टैंक्स तीन प्रकार के होते हैं: हैवी टैंक, मीडियम टैंक और लाइट टैंक। हैवी टैंक प्रोटेक्शन के लिए, मीडियम टैंक ऑफेंस के लिए और लाइट टैंक मिक्स्ड रोल प्ले करता है। जोरावर टैंक इन सभी कैपेबिलिटीज को अपने अंदर समेटे हुए है।
जोरावर का पावर और कैपेबिलिटीज
जोरावर टैंक का मुख्य गन 105 एए का है और यह एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल को डिस्ट्रॉय करने की क्षमता रखता है। इसमें एक्टिव प्रोटेक्शन सिस्टम लगाया गया है, जो इसे और मजबूत बनाता है। इसका पावर टू वेट रेशियो भी अच्छा है, जिससे इसकी मोबिलिटी बढ़ जाती है। यह टैंक ड्रोन के साथ इंटीग्रेटेड है, जिससे सिचुएशनल अवेयरनेस बढ़ती है।
प्रोजेक्ट जोरावर का महत्व
प्रोजेक्ट जोरावर का मुख्य मकसद ईस्टर्न लद्दाख में चीन के खिलाफ सैन्य क्षमता को बढ़ाना था। गलवान वैली में हुए घटनाओं के बाद, भारत ने सीखा कि उसे खुद का लाइट वेट टैंक चाहिए। वर्तमान में भारत की सेना तीन तरह के टैंक्स ऑपरेट करती है: अर्जुन mk1a, t90, और t 72। ये सभी भारी टैंक्स हैं, जो डेजर्ट और प्लेन क्षेत्रों में उपयुक्त हैं, लेकिन हाई एल्टीट्यूड क्षेत्रों के लिए लाइट वेट टैंक की जरूरत थी।
भारत का आत्मनिर्भर कदम
भारत सरकार ने मार्च 2022 में जोरावर के डिजाइन और डेवलपमेंट को अप्रूव किया था और अब यह टैंक कंप्लीट हो गया है। इससे भारत को किसी दूसरे देश पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा और यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
फाइनली, भारत का प्रोजेक्ट जोरावर सफल हो गया है और यह टैंक भारतीय सेना के लिए एक बड़ा एडवांटेज साबित होगा। यह न सिर्फ हमारी सैन्य क्षमता को बढ़ाएगा, बल्कि देश की सुरक्षा को भी मजबूत करेगा।