नई दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 22 दिसंबर 2000 को लाल किला परिसर में हुए आतंकी हमले के दोषी पाकिस्तानी आतंकवादी मोहम्मद आरिफ की दया याचिका खारिज कर दी है। इस हमले में 7 राजपूताना राइफल्स की यूनिट पर गोलीबारी कर तीन सैनिकों की जान ली गई थी। अधिकारियों ने बुधवार को इस बारे में जानकारी दी। राष्ट्रपति मुर्मू के पदभार ग्रहण करने के बाद यह दूसरी दया याचिका है जिसे उन्होंने खारिज किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने 3 नवंबर 2022 को आरिफ की पुनर्विचार याचिका को खारिज करते हुए उसकी मौत की सजा बरकरार रखी थी। कोर्ट ने कहा था कि आरिफ के अपराध की गंभीरता को कम करने के लिए कोई साक्ष्य नहीं है। लाल किले पर हमला देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता के लिए सीधा खतरा था।
ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
22 दिसंबर 2000 को लाल किला परिसर में तैनात 7 राजपूताना राइफल्स की यूनिट पर पाकिस्तानी आतंकवादी मोहम्मद आरिफ और उसके साथियों ने गोलीबारी की थी, जिसमें तीन सैनिक मारे गए थे। आरिफ को 4 दिन बाद दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था।
न्यायिक प्रक्रिया
अधीनस्थ अदालत ने अक्टूबर 2005 में आरिफ को मौत की सजा सुनाई थी। इसके बाद दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को बरकरार रखा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आरिफ ने अवैध रूप से भारतीय क्षेत्र में प्रवेश किया था और अन्य आतंकवादियों के साथ मिलकर हमले की साजिश रची थी।
वर्तमान स्थिति
राष्ट्रपति सचिवालय के 29 मई के आदेश के अनुसार, आरिफ की दया याचिका 15 मई को प्राप्त हुई थी, जिसे 27 मई को खारिज कर दिया गया। एक्सपर्ट्स का मानना है कि आरिफ अब भी संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत अपनी सजा में कमी के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है।
राष्ट्रपति द्वारा इस दया याचिका को खारिज करने का निर्णय देश की सुरक्षा और एकता को बनाए रखने के संकल्प को दर्शाता है। लाल किला हमला भारत की संप्रभुता के लिए एक गंभीर चुनौती थी, और इस पर कड़ी कार्रवाई करना आवश्यक है।