संसद का संयुक्त सत्र
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आज सुबह 11 बजे संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करेंगी। यह संबोधन नवनिर्वाचित सरकार की प्राथमिकताओं को सामने रखेगा।
कार्यक्रम और तारीखें
- अभिभाषण का समय: सुबह 11 बजे
- धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस: 28 जून से
पहला संबोधन
अठारहवीं लोकसभा के गठन के बाद संसद की संयुक्त बैठक में मुर्मू का यह पहला संबोधन होगा। नई लोकसभा का पहला सत्र गत सोमवार को शुरू हुआ और राज्यसभा का 264वां सत्र 27 जून से शुरू होगा।
राष्ट्रपति की आगमन
राष्ट्रपति भवन से घुड़सवार अंगरक्षकों के साथ मुर्मू संसद भवन पहुंचेंगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा एवं राज्यसभा के पीठासीन अधिकारी संसद भवन के गज द्वार पर उनका स्वागत करेंगे। वहां से उन्हें पारंपरिक राजदंड ‘सेंगोल’ की अगुवाई में निचले सदन के कक्ष तक ले जाया जाएगा।
संविधानिक प्रावधान
संविधान के अनुच्छेद 87 के अनुसार, राष्ट्रपति को प्रत्येक लोकसभा चुनाव के बाद सत्र की शुरुआत में संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करना आवश्यक है। राष्ट्रपति द्वारा हर साल संसद के पहले सत्र में दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को भी संबोधित किया जाता है।
अभिभाषण का महत्व
राष्ट्रपति के अभिभाषण के माध्यम से सरकार अपने कार्यक्रमों और नीतियों की रूपरेखा बताती है। यह अभिभाषण पिछले वर्ष सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर भी प्रकाश डालता है और आगामी वर्ष के लिए प्राथमिकताओं को बताता है।
धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस
मुर्मू के अभिभाषण के बाद सत्तारूढ़ दल संसद के दोनों सदनों में धन्यवाद प्रस्ताव पेश करेगा जिस पर सदस्य चर्चा करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी दो या तीन जुलाई को धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब दे सकते हैं।
अभिभाषण में संभावित विषय
माना जा रहा है कि मुर्मू अपने अभिभाषण में पिछले 10 वर्षों में मोदी सरकार की नीतियों का उल्लेख करेंगी, जिसमें अर्थव्यवस्था, रक्षा, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और सामाजिक कल्याण जैसे विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्धियों को शामिल किया जाएगा।
विपक्ष की तैयारी
विपक्ष नीट-यूजी में कथित अनियमितताओं, यूजीसी-नेट को रद्द करने, जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी हमलों, देश में ट्रेन दुर्घटनाओं और आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों जैसे कई मुद्दों पर सरकार को घेरने की तैयारी में है।
चुनाव परिणाम
हाल में हुए आम चुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए ने 293 सीट जीतकर लगातार तीसरी बार सत्ता बरकरार रखी। हालांकि, यह संख्या भाजपा की उम्मीदों से कम है, क्योंकि वह 400 से अधिक सीटों की उम्मीद कर रही थी। चुनाव में विपक्ष मजबूत होकर उभरा है और ‘इंडिया’ गठबंधन ने 234 सीटें जीतीं, जिसमें कांग्रेस की 99 सीटें शामिल हैं जो 2019 में जीती गईं 52 सीटों से लगभग दोगुनी हैं।