54वीं जीएसटी काउंसिल की बैठक: प्रमुख बिंदु

महत्वपूर्ण घटनाक्रम
हाल ही में जीएसटी काउंसिल की 54वीं बैठक हुई थी, जिसमें कई अहम मुद्दों पर चर्चा की गई। इस बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए:

  1. ऑनलाइन गेमिंग पर जीएसटी
    ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों द्वारा जीएसटी का भुगतान न करने के कारण हाल ही में सरकार ने उन्हें नोटिस भेजा था। जीएसटी कलेक्शन में पिछले छह महीनों में 412% की बढ़ोतरी देखी गई, जो ₹1909 करोड़ तक पहुंच गई है। ऑनलाइन गेमिंग उद्योग में कर संग्रहण में इस वृद्धि ने काउंसिल का ध्यान आकर्षित किया।
  2. कैंसर ड्रग्स पर जीएसटी दर में कमी
    काउंसिल ने कैंसर ड्रग्स पर जीएसटी दर को 12% से घटाकर 5% कर दिया है, जिससे मरीजों पर वित्तीय बोझ कम होगा। कुछ विशेष कैंसर दवाओं पर कर में कटौती की गई है, ताकि उन्हें आसानी से उपलब्ध कराया जा सके।
  3. रिसर्च फंड्स पर जीएसटी छूट
    रिसर्च फंड्स पर पहले जीएसटी लगाया जाता था, लेकिन अब सरकार ने निर्णय लिया है कि रिसर्च और डेवलपमेंट (आर एंड डी) फंड्स पर जीएसटी नहीं लगाया जाएगा। इससे रिसर्च इंस्टीट्यूट्स को फायदा होगा और वैज्ञानिक अनुसंधान को प्रोत्साहन मिलेगा।
  4. हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर जीएसटी
    हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर जीएसटी हटाने की मांग की जा रही थी। हालांकि, काउंसिल ने इस पर निर्णय लेने के लिए एक ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स का गठन किया है, जिसकी रिपोर्ट नवंबर तक आएगी। अभी तक हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर जीएसटी नहीं हटाया गया है।
  5. नमकीन पर जीएसटी दर में कमी
    पहले कुछ नमकीन उत्पादों पर 18% जीएसटी लगता था, जिसे घटाकर 12% कर दिया गया है।
  6. विदेशी एयरलाइंस पर टैक्स
    जीएसटी इंटेलिजेंस डायरेक्टरेट ने कई विदेशी एयरलाइंस को नोटिस जारी किया था, जिसमें उनसे 2017 से जीएसटी का भुगतान करने के लिए कहा गया था। हालांकि, काउंसिल ने विदेशी एयरलाइंस पर जीएसटी लगाने का निर्णय वापस ले लिया है, जिससे उन्हें राहत मिली है।
  7. ऑनलाइन ट्रांजैक्शन पर जीएसटी
    डिजिटल भुगतान पर जीएसटी का मुद्दा भी उठाया गया था। 2000 रुपये से नीचे के ऑनलाइन भुगतान पर फिलहाल जीएसटी नहीं लगता है, लेकिन सरकार इस पर कर लगाने पर विचार कर रही है। इसे लेकर अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है, और इस मुद्दे को फिटमेंट कमेटी को सौंपा गया है।
  8. कंपंसेशन सेस
    2017 में जीएसटी लागू होने के समय केंद्र सरकार ने राज्यों को पांच साल तक राजस्व में कमी की भरपाई करने का आश्वासन दिया था। इसके लिए कंपनसेशन सेस लागू किया गया था, जिसे अब 2026 तक बढ़ा दिया गया है। हालांकि, 2026 के बाद इसे जारी रखने पर विचार किया जाएगा। सरकार ने अब तक राज्यों को लगभग 8.6 लाख करोड़ रुपये का कंपनसेशन भुगतान किया है, और 2026 तक यह सेस खत्म हो जाएगा।

जीएसटी काउंसिल का गठन
2017 में जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) लागू करने से पहले भारतीय संविधान में संशोधन किया गया, जिससे जीएसटी काउंसिल का गठन हुआ। यह काउंसिल भारतीय संविधान के अनुच्छेद 279ए के तहत स्थापित की गई है। इसका प्रमुख उद्देश्य देश में वस्तु और सेवा कर से संबंधित सभी नीतिगत फैसले लेना है। वर्तमान में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जीएसटी काउंसिल की अध्यक्षता कर रही हैं। इस काउंसिल में केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्यों के वित्त मंत्री भी सदस्य होते हैं। जीएसटी काउंसिल का सचिवालय नई दिल्ली में स्थित है, और राजस्व सचिव काउंसिल के सचिव होते हैं।

सिफारिशी बॉडी
सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में स्पष्ट किया था कि जीएसटी काउंसिल एक सिफारिशी संस्था है, यानी काउंसिल के निर्णय केंद्र और राज्य सरकारों पर बाध्यकारी नहीं हैं। उदाहरण के लिए, अगर काउंसिल किसी विशेष वस्तु पर कर दर बढ़ाने का निर्णय लेती है, तो राज्य सरकारें उसे मानने के लिए बाध्य नहीं होतीं। हालांकि, चूंकि काउंसिल में सभी राज्यों के प्रतिनिधि होते हैं, आमतौर पर फैसले सर्वसम्मति से ही लागू हो जाते हैं।

निर्णय लेने की प्रक्रिया
जीएसटी काउंसिल में कोई भी बड़ा निर्णय सर्वसम्मति से लेने की कोशिश की जाती है, लेकिन अगर सहमति नहीं बनती है, तो मतदान का सहारा लिया जाता है। मतदान के लिए कुल सदस्यों का 50% उपस्थित होना आवश्यक है। किसी प्रस्ताव को पास करने के लिए 75% बहुमत की आवश्यकता होती है। केंद्र सरकार के पास 1/3 मत होता है, जबकि बाकी 2/3 मत राज्यों के पास होते हैं। यह व्यवस्था केंद्र और राज्यों के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए की गई है।

निष्कर्ष
जीएसटी काउंसिल देश की आर्थिक नीतियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। विभिन्न कर दरों में बदलाव और आर्थिक सुधारों के लिए काउंसिल लगातार फैसले लेती रहती है। हालांकि यह एक सिफारिशी संस्था है, लेकिन इसके निर्णय अक्सर सर्वसम्मति से होते हैं। जीएसटी काउंसिल की हालिया बैठक में लिए गए निर्णय यह संकेत देते हैं कि सरकार लगातार सुधार और बदलाव की ओर अग्रसर है, ताकि जीएसटी प्रणाली को और अधिक पारदर्शी और सरल बनाया जा सके।

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