नई दिल्ली: भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) को लेकर चल रही वार्ताओं में उल्लेखनीय प्रगति दर्ज की गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने इस प्रगति का स्वागत करते हुए इसे दोनों देशों की जनता के “कल्याण” के लिए अहम कदम बताया है। वेंस, उनकी पत्नी उषा वेंस और उनके बच्चे वर्तमान में चार दिवसीय भारत दौरे पर हैं, जहां उनका प्रधानमंत्री मोदी ने आत्मीय स्वागत किया।
अमेरिकी पक्ष ने औपचारिक रूप से वार्ताओं के लिए संदर्भ शर्तों को अंतिम रूप दिए जाने की घोषणा की, जिससे साझा आर्थिक प्राथमिकताओं पर आगे के संवाद का मार्ग प्रशस्त हुआ है। दोनों पक्षों ने समझौते को शीघ्र अंतिम रूप देने की प्रतिबद्धता जताई, जिससे भारत को ट्रंप प्रशासन की ओर से प्रस्तावित पारस्परिक शुल्कों के खतरे से राहत मिल सकेगी।
अमेरिकी बयान के अनुसार, बीटीए एक आधुनिक व्यापार समझौते का अवसर प्रदान करता है, जिसका उद्देश्य रोजगार सृजन और नागरिक कल्याण को बढ़ावा देना है। ‘भारत के लिए अमृत काल’ और ‘अमेरिका के लिए स्वर्ण युग’ की अवधारणाओं से प्रेरित यह समझौता दोनों देशों के किसानों, श्रमिकों और उद्यमियों के लिए नए विकास अवसर लाएगा।
बैठक में इस साल के अंत में भारत में प्रस्तावित क्वाड शिखर सम्मेलन को लेकर भी चर्चा हुई। प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मेजबानी की इच्छा जताई। हालांकि अमेरिकी पक्ष ने फरवरी में ट्रंप और मोदी के बीच हुई “सकारात्मक और सफल” मुलाकात का जिक्र किया, लेकिन प्रस्तावित भारत यात्रा को लेकर कोई पुष्टि नहीं दी।
वेंस और उनके परिवार के साथ वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी सोमवार सुबह दिल्ली पहुंचे, जहां केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने उनका स्वागत किया। शाम को प्रधानमंत्री के साथ हुई रात्रिभोज बैठक को वेंस प्रतिनिधिमंडल ने “सुखद और उपयोगी” बताया। इसके बाद प्रतिनिधिमंडल जयपुर के लिए रवाना हुआ।
एक भारतीय बयान के अनुसार, दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय सहयोग के क्षेत्रों—विशेष रूप से ऊर्जा, रक्षा और रणनीतिक प्रौद्योगिकी—में प्रगति की सकारात्मक समीक्षा की। अमेरिका भारत को रक्षा निर्यात बढ़ाने की दिशा में प्रयासरत है, ताकि व्यापार घाटे को संतुलित किया जा सके। छोटे और उन्नत मॉड्यूलर रिएक्टरों सहित उभरती प्रौद्योगिकियों में सहयोग भी चर्चा का अहम हिस्सा रहा।
इसके अलावा यूक्रेन और गाजा की स्थिति पर भी विचार-विमर्श हुआ, जिसमें पीएम मोदी ने सभी पक्षों की भागीदारी से शांति वार्ता के लिए भारत की प्रतिबद्धता दोहराई।