ChatGPT युवाओं को बना रहा है दिमागी तौर पर सुस्त? MIT की रिसर्च में चौंकाने वाला दावा

Massachusetts Institute of Technology (MIT) की एक ताज़ा रिपोर्ट ने एआई टूल्स की अंधी दौड़ पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, ChatGPT जैसे AI प्लेटफॉर्म भले ही इंसानों की कार्यक्षमता में 60% तक इजाफा कर रहे हों, लेकिन इसके साथ ही वे हमारी सोचने-समझने की शक्ति में 32% तक गिरावट भी ला रहे हैं।

यह गिरावट उस मानसिक श्रम में देखी गई है जिसे मनोविज्ञान की भाषा में “Germane Cognitive Load” कहा जाता है – यानी वह प्रयास जो किसी जानकारी को गहराई से समझने, उसे याद रखने और रचनात्मक रूप से उपयोग में लाने में लगता है।


ब्रेन स्कैन से उजागर हुआ AI का असर

MIT की इस स्टडी में 18 से 39 साल की उम्र के 54 प्रतिभागियों को चार महीने तक तीन समूहों में बांटकर EEG ब्रेन स्कैन के ज़रिए अध्ययन किया गया। शोध में देखा गया कि जिन प्रतिभागियों ने ChatGPT का बार-बार इस्तेमाल किया, उनके दिमागी सक्रियता के स्तर (alpha-beta brain waves) में गिरावट आई।

इन लोगों ने भाषा, मानसिक फुर्ती और व्यवहार में लगातार कमजोर प्रदर्शन किया – यह संकेत है कि AI उपयोग से मानव मस्तिष्क की प्राकृतिक कार्यप्रणाली पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।


खतरे में है युवा दिमाग

इस अध्ययन की प्रमुख लेखिका नतालिया कोस्मिना ने आगाह किया है कि यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले दिनों में “GPT आधारित स्कूल या किंडरगार्टन” जैसी परिकल्पनाएं हकीकत बन सकती हैं – जो कि बच्चों के विकासशील मस्तिष्क के लिए बेहद खतरनाक सिद्ध होंगी।

उनका मानना है कि “बच्चों और युवाओं का मस्तिष्क सीखने के सबसे संवेदनशील दौर में होता है। AI अगर उस सोच को आसान बना दे, तो आगे जाकर यह पीढ़ी गहराई से विचार करने की आदत ही भूल सकती है।”


AI निबंध – शब्द तो हैं, आत्मा नहीं

शोध में पाया गया कि ChatGPT से लिखवाए गए निबंध शब्दों से भरे लेकिन भावनाओं से खाली होते हैं।
छात्रों को ये निबंध याद नहीं रहते, उनमें कोई निजी दृष्टिकोण या भावनात्मक जुड़ाव नहीं होता।

शिक्षकों ने ऐसे लेखों को “अति-सटीक लेकिन बेमतलब”, “यांत्रिक और आत्माहीन” बताया।


विशेषज्ञों की चेतावनी: सुविधा के चक्कर में सोचने की ताकत खो रहे हैं!

ColdIQ के को-फाउंडर एलेक्स वक्का ने चेतावनी दी

“AI आपको तात्कालिक सुविधा देता है, लेकिन हर बार जब आप उससे काम करवाते हैं, आप अपनी सोचने की शक्ति पर ब्याज चुका रहे होते हैं।”

AI से मिली तेज़ी और सुविधा लुभावनी जरूर है, लेकिन इसके लंबे असर को नजरअंदाज करना भविष्य की पीढ़ी के लिए खतरनाक हो सकता है`