कोयला मंत्रालय सिंगल विंडो क्लीयरेंस सिस्टम वेब पोर्टल पर एक्सप्लोरेशन मॉड्यूल लॉन्च करने के लिए तैयार

सरकार ने मंगलवार को सिंगल विंडो क्लीयरेंस सिस्टम के प्रोजेक्ट इंफॉर्मेशन एंड मैनेजमेंट (पीआईएम) मॉड्यूल को लॉन्च किया । यह एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जिसके जरिए कोयला खदानों को चालू करने के लिए विभिन्न मंजूरियां ली जा सकती हैं। मानसून के दौरान ईंधन की कमी की आशंका के बीच घरेलू ईंधन आपूर्ति को सुरक्षित करने के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों के मद्देनजर यह घटनाक्रम महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

एक आधिकारिक बयान के अनुसार, “कोयला मंत्रालय ने आज यहां एकल खिड़की मंजूरी प्रणाली (एसडब्ल्यूसीएस) के परियोजना सूचना एवं प्रएसडब्लूसीएस का पीआईएम मॉड्यूल परियोजना प्रस्तावकों के साथ-साथ मंत्रालय और राज्य के अधिकारियों को कोयला खदानों की निगरानी और त्वरित क्रियान्वयन में सुविधा प्रदान करेगा।

नई आईटी-सक्षम सुविधा का शुभारंभ करते हुए कोयला सचिव अनिल कुमार जैन ने कहा कि कोयला खदानों के संचालन के लिए विभिन्न मंजूरियाँ प्राप्त करने के लिए एक मंच तैयार करना सरकार का एक अभिनव प्रयास है।बंधन मॉड्यूल का शुभारंभ किया।”

उन्होंने अधिकारियों से सभी हितधारकों को नई सुविधा से परिचित कराने के लिए इंटरैक्टिव सत्र आयोजित करने का आह्वान किया।

खनन योजना और खदान बंद करने की योजना, और पर्यावरण और वन मंजूरी जैसे विभिन्न वैधानिक प्रावधान कोयला खदान शुरू करने के लिए आवश्यक शर्तें हैं।

ये मंजूरी विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों और राज्य सरकार के विभागों द्वारा दी जाती हैं। कुछ मंजूरियों के अपने ऑनलाइन पोर्टल हैं, लेकिन अधिकांश ऑफ़लाइन मोड के माध्यम से दी जा रही हैं।

परियोजना प्रस्तावकों को अपेक्षित मंजूरी के लिए आवेदन करने के लिए अलग-अलग प्रशासनिक मंत्रालयों और सरकारी विभागों से अलग-अलग संपर्क करना पड़ता है, जिससे कोयला खदानों के संचालन में देरी होती है।

मंजूरी को डिजिटल बनाने के निर्णय के हिस्से के रूप में, कोयला मंत्रालय ने एकल खिड़की मंजूरी प्रणाली की अवधारणा की है , जिसके माध्यम से एक परियोजना प्रस्तावक एकल पंजीकरण इंटरफेस के साथ अपेक्षित मंजूरी के लिए आवेदन कर सकता है मंत्रालय ने कहा, “कारोबार को आसान बनाने के लिए, एसडब्ल्यूसीएस का एक एकीकृत मंच तैयार किया गया है, जिसमें समयबद्ध तरीके से खनन योजना और खदान बंद करने की योजना को मंजूरी देने के लिए पहले से ही चालू मॉड्यूल और परिवेश पोर्टल के साथ एकीकरण , कोयला धारक क्षेत्र (अधिग्रहण और विकास) अधिनियम, 1957 की धारा 8 (1) के तहत आपत्ति की डिजिटल स्वीकृति, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल की सहमति प्रबंधन प्रणाली शामिल हैं।”