फिर से ट्रम्प का ट्रेड वॉर – 14 देशों पर भारी टैरिफ, जापान और साउथ कोरिया भी चपेट में

9 अप्रैल को पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 90 दिन का “टैरिफ पॉज़” घोषित किया था। लेकिन 9 जुलाई को उसकी मियाद खत्म होते ही ट्रम्प ने दोबारा से नए टैरिफ की घोषणा कर दी है, जिससे एक बार फिर से वैश्विक ट्रेड वॉर की आहट सुनाई दे रही है।

जापान और साउथ कोरिया जैसे अमेरिका के करीबी साझेदार देशों को भी इस बार 25% टैरिफ की मार झेलनी पड़ेगी।

14 देशों को भेजे गए टैरिफ लेटर:

देशटैरिफ प्रतिशतप्रभावित सेक्टर्स
म्यांमार, लाओस40%टेक्सटाइल, जेम्स, इलेक्ट्रॉनिक्स
थाईलैंड, कंबोडिया36%गारमेंट्स, ऑटो पार्ट्स
बांग्लादेश, सर्बिया35%रेडीमेड गारमेंट्स, फार्मा
इंडोनेशिया32%कोयला, मेटल्स
बोसनिया, साउथ अफ्रीका30%माइनरल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स
जापान, साउथ कोरिया25%ऑटोमोबाइल, सेमीकंडक्टर
मलेशिया, कजाकिस्तान, ट्यूनिशिया25%तेल, गैस, इलेक्ट्रॉनिक्स

ट्रम्प ने साफ चेताया है –

“अगर कोई देश रिटालिएट करता है तो हम उसी अनुपात में अतिरिक्त टैरिफ लगाएंगे। यानी 40% + 20% = 60% तक।”

प्रमुख अमेरिकी सेक्टर्स पर असर:

  1. ऑटो सेक्टर:
    जापानी (Toyota) और कोरियन (Hyundai) कारें अब अमेरिकी ग्राहकों के लिए महंगी होंगी।
  2. इलेक्ट्रॉनिक्स:
    iPhone, चिप्स, हार्ड ड्राइव्स के दाम बढ़ सकते हैं।
  3. कपड़ा उद्योग:
    बांग्लादेश, म्यांमार से आने वाले कपड़ों की कीमतों में वृद्धि संभव।
  4. खनिज और ऊर्जा संसाधन:
    इंडोनेशिया और साउथ अफ्रीका से आने वाले कोयला और धातुएं महंगी होंगी।

जियोपॉलिटिकल और इकनॉमिक असर:

  • ग्लोबल साउथ की चुनौती:
    ये देश अमेरिका के विकल्प बन रहे थे चाइना डीकपलिंग के बाद। अब उनकी ग्रोथ पर असर पड़ेगा।
  • ब्रिक्स और ASEAN चेन पर प्रभाव:
    ब्रिक्स+ASEAN के सप्लाई चेन प्रयासों को झटका लग सकता है।
  • अमेरिकी बाजार में झटका:
    टैरिफ अनाउंसमेंट के तुरंत बाद डाउ जोन्स और नैस्डैक में 1% की गिरावट दर्ज की गई।

प्रभावित देशों की प्रतिक्रिया:

  • जापान: “डीप रिग्रेट” व्यक्त किया और बातचीत की अपील की।
  • साउथ कोरिया: अर्जेंट ट्रेड मीटिंग की मांग।
  • थाईलैंड, मलेशिया: WTO में सेफगार्ड के लिए अपील करने की तैयारी।
  • साउथ अफ्रीका: “यूनिलैटरल और अनजस्ट” करार दिया।

भारत की स्थिति और संभावनाएं:

डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा है:

“हम भारत के साथ ट्रेड डील को अंतिम रूप देने के करीब हैं।”

भारत और अमेरिका के बीच एग्रीकल्चर, फार्मा, डिजिटल टैक्स जैसे मुद्दों पर बातचीत हो रही है। अगर डील होती है, तो भारत को डायवर्टेड ट्रेड का बड़ा लाभ मिल सकता है।

हालांकि भारत ने साफ कहा है:

“हम डेडलाइन नहीं, भारत के हित देखेंगे” – पीयूष गोयल (वाणिज्य मंत्री)

डोनाल्ड ट्रम्प की नई टैरिफ नीति ने न सिर्फ अमेरिका के ट्रेड रिलेशन्स को चुनौती दी है, बल्कि ग्लोबल सप्लाई चेन पर भी खतरा मंडराने लगा है। इस नए ट्रेड वॉर का अगला पड़ाव क्या होगा? भारत सहित दुनिया की नजरें अमेरिका की अगली चाल पर टिकी हैं।