लंदन। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) अब सिर्फ एक तकनीक नहीं, बल्कि कामकाज की दुनिया में बड़ा बदलाव लाने वाला कारक बन चुका है। McKinsey की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, AI Jobs से UK में व्हाइट-कॉलर नौकरियों में 38% तक की गिरावट देखी गई है—इसका सीधा कारण है AI का बढ़ता प्रभाव।
AI अब डेटा एनालिसिस, रिपोर्ट जनरेशन और यहां तक कि डॉक्यूमेंट मैनेजमेंट जैसे कार्यों को खुद कर रहा है। McKinsey के सीनियर एडवाइजर टेरा एलास के अनुसार, कंपनियां अब अपनी वर्कफोर्स स्ट्रैटेजी बदल रही हैं और नई भर्तियों को धीमा कर रही हैं, क्योंकि आने वाले वर्षों में प्रोडक्टिविटी बढ़ने की उम्मीद AI से ही है।
McKinsey की रिपोर्ट के अनुसार प्रोग्रामर, मैनेजमेंट कंसल्टेंट और ग्राफिक डिजाइनर जैसे प्रोफाइल्स की मांग में 50% से अधिक गिरावट आई है। वहीं, डेटा साइंस और एनालिटिक्स से जुड़ी जॉब्स में भी AI टूल्स के कारण गिरावट दर्ज की गई है।
कंपनियां लागत में कटौती और प्रोडक्टिविटी में बढ़ोतरी के लिए AI टूल्स को तेजी से अपना रही हैं। परिणामस्वरूप, कई रूटीन वर्क और क्लेरिकल प्रोफाइल्स अब इंसानों के बजाय AI के हवाले किए जा रहे हैं।
कई बड़ी कंपनियां अब “AI-फर्स्ट अप्रोच” अपना रही हैं। इससे लागत में कटौती तो हो रही है, लेकिन हजारों नौकरियां खत्म हो रही हैं। HR एजेंसियों के मुताबिक, सिर्फ मार्च से जून 2025 के बीच UK में करीब 1.2 लाख जॉब्स खत्म हो चुकी हैं।
मीटिंग नोट्स बनाना, फाइल छांटना या बेसिक रिपोर्टिंग—ये सभी काम पहले जूनियर कर्मचारियों के जिम्मे होते थे, लेकिन अब AI इन्हें कुशलता से कर रहा है।
Adzuna के डेटा के मुताबिक, ChatGPT के आने के बाद से एंट्री-लेवल जॉब्स में एक-तिहाई की कमी आई है।
विशेषज्ञ जेम्स नीव कहते हैं कि AI Jobs का बढ़ता दबाव युवा नौकरी चाहने वालों के लिए सबसे बड़ा संकट बन गया है, जो पहले ही कोविड, महंगाई और आर्थिक अनिश्चितताओं से जूझ रहे हैं।