Gene Therapy Cancer : विटामिन डी अवशोषण के लिए आवश्यक जीन कैंसर उपचार में कर सकता है मदद

वैज्ञानिकों ने एक ऐसे महत्वपूर्ण जीन की खोज की है जो विटामिन डी के अवशोषण में अहम भूमिका निभाता है और कैंसर व ऑटोइम्यून बीमारियों के इलाज में मददगार हो सकता है।

इस जीन का नाम एसडीआर42ई1 है, जो आंत से विटामिन डी को अवशोषित करने और उसे शरीर में उपयोगी बनाने में सहायक है। यह खोज व्यक्तिगत चिकित्सा और कैंसर उपचार में नए रास्ते खोल सकती है।

कतर में हमद बिन खलीफा यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. जॉर्जेस नेमर ने बताया, “हमने पाया कि एसडीआर42ई1 जीन को रोकने या निष्क्रिय करने से कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को चुनिंदा रूप से रोका जा सकता है।”

पहले के शोध में पता चला था कि क्रोमोसोम 16 पर मौजूद एसडीआर42ई1 जीन में एक खास म्यूटेशन के कारण विटामिन डी की कमी हो सकती है। इस म्यूटेशन से जीन का प्रोटीन छोटा और निष्क्रिय हो जाता है।

‘फ्रंटियर्स इन एंडोक्रिनोलॉजी’ जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में वैज्ञानिकों ने सीआरआईएसपीआर/सीएएस9 जीन एडिटिंग टेक्निक का इस्तेमाल कर कोलोरेक्टल कैंसर के मरीज की एचसीटी116 कोशिकाओं में एसडीआर42ई1 जीन को निष्क्रिय किया। आमतौर पर इन कोशिकाओं में यह जीन बहुत सक्रिय होता है, जो उनकी जीवित रहने की क्षमता के लिए जरूरी है। लेकिन जब इस जीन को निष्क्रिय किया गया, तो कैंसर कोशिकाओं की जीवित रहने की क्षमता 53 प्रतिशत तक कम हो गई। इससे पता चलता है कि इस जीन को रोकने से कैंसर कोशिकाओं को नष्ट किया जा सकता है, जबकि आसपास की स्वस्थ कोशिकाएं सुरक्षित रहती हैं।

जॉर्डन की मिडिल ईस्ट यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर डॉ. नघम नफीज हेंदी ने कहा, “हमारे नतीजे कैंसर के इलाज में नए संभावनाओं के नए द्वार खोलते हैं। हालांकि, इसे क्लिनिकल रूप से लागू करने के लिए अभी और शोध की जरूरत है।”

डॉ. नेमर ने बताया कि चूंकि एसडीआर42ई1 विटामिन डी के मेटाबॉलिज्म में शामिल है, इसे उन बीमारियों के इलाज में भी इस्तेमाल किया जा सकता है जहां विटामिन डी नियामक भूमिका निभाता है।

हालांकि, वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी कि एसडीआर42ई1 के विटामिन डी संतुलन पर लंबे समय तक के प्रभावों को समझने के लिए और अध्ययन जरूरी हैं। यह खोज कैंसर और अन्य बीमारियों के इलाज में एक नई उम्मीद जगा सकती है।