1. ट्रंप का सीधा हमला: भारत की इकॉनमी ‘डेड’?
- अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने भारत को लेकर बेहद आक्रामक बयान दिया।
- उन्होंने कहा कि भारत और रूस की अर्थव्यवस्था “डेड” हो चुकी है।
- साथ ही सभी भारतीय वस्तुओं पर 25% टैरिफ लगाने का ऐलान कर डाला—और इशारा किया कि यह बढ़ भी सकता है।
2. भारत का दो-टूक जवाब: “हम झुकेंगे नहीं”
वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने पांच प्रमुख बातें कही:
- नेशनल इंटरेस्ट पर कोई समझौता नहीं होगा।
- भारत म्यूचुअली बेनिफिशियल ट्रेड डील्स ही करेगा।
- IMF और ग्लोबल एजेंसियों के अनुसार भारत एक “ब्राइट स्पॉट” है, डेड नहीं।
- जल्द ही भारत जापान और जर्मनी को पीछे छोड़कर तीसरी सबसे बड़ी इकॉनमी बनेगा।
- मेक इन इंडिया, आत्मनिर्भर भारत जैसे इनिशिएटिव से भारत निर्माण और मैन्युफैक्चरिंग पावर बन चुका है।
3. डीडोलराइजेशन की रफ्तार बढ़ी
- भारत-रूस ने फॉर्मल रूप से रूपी-रूबल ट्रेड शुरू कर दिया है।
- ट्रेड अब डॉलर नहीं बल्कि लोकल करेंसीज (रूबल, दिरहम) में हो रहा है।
- SWIFT जैसे डॉलर-डॉमिनेटेड सिस्टम को बायपास करने की कोशिश है।
- UPI और रूस का मिर पेमेंट सिस्टम आपस में इंटीग्रेट होने जा रहे हैं।
4. रूस का समर्थन और अमेरिका की चिंता
- रूस के एम्बेसडर ने कहा – भारत के साथ फाइनेंशियल इंटीग्रेशन तेज हो रहा है।
- भारत को डिस्काउंटेड ऑयल, फर्टिलाइज़र और डिफेंस इक्विपमेंट मिल रहा है।
- अमेरिका को डर है कि इससे डॉलर की ग्लोबल डिमांड और उसकी सैंक्शंस पावर घटेगी।
5. अमेरिका को भारत से क्या चाहिए? और उलझन क्यों?
- ट्रंप चाहते हैं कि भारत उनके मुताबिक चले:
- डेरी और एग्रीकल्चर सेक्टर ओपन करे।
- रूस के साथ ट्रेड रोके।
- लेकिन भारत के लिए यह “रोज़गार और स्वाभिमान का मुद्दा” है।
- भारत ने अब संकेत दिए हैं कि वो अमेरिका को नाराज़ करने से नहीं डरेगा।
6. अमेरिकी दबाव का असर भारत पर?
- कुछ सेक्टर्स को नुकसान संभव है – जैसे टेक्सटाइल, जेम्स-ज्वेलरी, फार्मा।
- रुपये पर भी असर – हाल ही में 3 महीने के न्यूनतम स्तर पर गया।
- लेकिन लॉन्ग टर्म में रूपी इंटरनेशनलाइजेशन की दिशा में मौका बन सकता है।
7. ब्रिक्स, CBDC और नया फाइनेंशियल ऑर्डर
- ब्रिक्स में अब 11 देश शामिल हो चुके हैं (सऊदी, UAE, मिस्र जैसे)।
- क्रॉस-बॉर्डर डिजिटल करेंसी, CBDC, और ब्रिक्स पेमेंट प्लेटफॉर्म पर तेजी से काम चल रहा है।
- भारत अभी तक ब्रिक्स करेंसी को पब्लिकली रिजेक्ट करता रहा है – लेकिन ट्रंप के बर्ताव से स्टैंड बदल सकता है।
निष्कर्ष: भारत अब झुकने वाला नहीं
- भारत का संदेश साफ है – “कोई भी समझौता भारत के हितों के विरुद्ध नहीं होगा। चाहे सामने अमेरिका ही क्यों न हो।”
- अमेरिका को यह समझना होगा कि भारत अब पुराना भारत नहीं है।
- अगर अमेरिका दोस्ती चाहता है, तो आदर भी दिखाना होगा।