भारत में कब अपनाया जाएगा? चीन और फ्रांस के बाद अब ऑस्ट्रेलिया भी बच्चों की सुरक्षा के लिए उठा रहा बड़ा कदम

Social Media Ban in Australia: बच्चों के हाथ में इन दिनों मोबाइल फोन का होना काफी आम हो गया है. खासकर सोशल मीडिया की लत बच्चों को खोखला कर रही है. कई देश सोशल मीडिया को बच्चों के उपयोग के लिए प्रतिबंधित कर रहे हैं. इस कड़ी में ऑस्ट्रेलिया ने भी बड़ा कदम उठाया है.

नई दिल्ली: आज के डिजिटल युग में मोबाइल फोन बच्चों के जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है। स्कूल से लौटते ही, खाने की टेबल पर, यहां तक कि टॉयलेट में भी, बच्चों के हाथों में फोन होना अब आम बात है। खासकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और ऑनलाइन गेम्स की लत बच्चों को अपनी गिरफ्त में ले चुकी है। यह लत केवल समय बर्बाद करने तक सीमित नहीं है, बल्कि बच्चों के शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक विकास और सामाजिक व्यवहार पर भी गंभीर असर डाल रही है।

विशेषज्ञों के अनुसार, लगातार स्क्रीन पर समय बिताने से बच्चों में चिड़चिड़ापन, नींद की कमी, एकाग्रता में गिरावट और सामाजिक अलगाव जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं। सोशल मीडिया के एल्गोरिद्म बच्चों को रील्स, शॉर्ट वीडियो और वायरल कंटेंट में उलझाए रखते हैं, जिससे उनकी पढ़ाई, खेलकूद और रचनात्मक गतिविधियों में रुचि घटती जा रही है।

दुनिया के कई देश इस खतरे को देखते हुए कड़े कदम उठा रहे हैं। चीन और फ्रांस पहले ही नाबालिगों के सोशल मीडिया इस्तेमाल पर सख्त नियम लागू कर चुके हैं। अब ऑस्ट्रेलिया ने भी इस दिशा में एक ऐतिहासिक फैसला लिया है।

ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथोनी अल्बानीज़ ने गुरुवार को घोषणा की कि 16 साल से कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करने से प्रतिबंधित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि फेसबुक, टिकटॉक, इंस्टाग्राम और स्नैपचैट जैसे प्लेटफॉर्म बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा और नकारात्मक असर डाल रहे हैं। इसीलिए, अब तकनीकी कंपनियों को कानूनी तौर पर बाध्य किया जाएगा कि वे आयु सीमा का पालन कराएं।

सरकार ने यह भी साफ किया है कि यदि कोई कंपनी इस नियम को लागू करने में असफल रहती है, तो उसे भारी-भरकम जुर्माना भरना होगा। नियामक यह सुनिश्चित करेंगे कि बच्चे किसी भी तरह से इन प्लेटफॉर्म्स पर प्रवेश न कर पाएं, और अगर वे किसी तकनीकी खामी का फायदा उठाकर ऐसा करते हैं, तो कंपनियों को तुरंत इसका समाधान करना होगा।

इस कदम का उद्देश्य बच्चों को हानिकारक ऑनलाइन ट्रेंड्स, साइबर बुलिंग, नशे जैसी डिजिटल लत और अस्वस्थ तुलना संस्कृति से बचाना है। सरकार चाहती है कि बच्चे अपने समय का उपयोग पढ़ाई, खेलकूद, परिवार के साथ समय बिताने और रचनात्मक गतिविधियों में करें।

ऑस्ट्रेलिया का यह सख्त कदम दुनिया भर में चर्चा का विषय बना हुआ है। अब सवाल यह है कि भारत जैसे बड़े और युवा आबादी वाले देश में, जहां बच्चों का सोशल मीडिया पर तेजी से बढ़ता झुकाव चिंता का कारण है, क्या सरकार भी इस तरह का कानून बनाएगी?