देश में कोल्डरिफ कफ सिरप से जुड़ी एक गंभीर घटना सामने आई है। 20 बच्चों की मौत के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। यह मामला झारखंड और पश्चिम बंगाल से शुरू हुआ, जहां बच्चों की मौत के बाद जांच में सामने आया कि सभी को एक ही सिरप दिया गया था। इसके बाद केंद्र सरकार ने स्थिति को गंभीर मानते हुए तेजी से कदम उठाए हैं।
डायरेक्टरेट जनरल ऑफ हेल्थ सर्विसेज़ (DGHS) ने राज्यों को आदेश दिया है कि वे अपने क्षेत्रों में कोल्डरिफ सिरप की बिक्री और स्टॉक की तुरंत जांच करें। साथ ही इस दवा के सभी बैचों की सैंपलिंग कर उसे टेस्टिंग लैब में भेजने के निर्देश दिए गए हैं। DGHS ने साफ कहा है कि अगर किसी भी बैच में गड़बड़ी पाई जाती है तो उसे तुरंत मार्केट से हटाया जाए और रिपोर्ट केंद्र को भेजी जाए।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस घटना को बेहद गंभीर माना है। शुरुआती रिपोर्ट में शक जताया जा रहा है कि सिरप में डायथिलीन ग्लाइकॉल या इसी तरह के ज़हरीले रसायन की मिलावट हो सकती है, जो लीवर और किडनी को नुकसान पहुंचाता है। इससे बच्चों में उल्टी, पेशाब बंद होना और सांस लेने में परेशानी जैसे लक्षण सामने आए थे। कई बच्चों को वेंटिलेटर पर रखना पड़ा लेकिन इलाज के बावजूद उनकी जान नहीं बच सकी।
संबंधित कंपनी के खिलाफ भी जांच शुरू हो गई है। दवा बनाने वाली कंपनी से बैच की पूरी जानकारी मांगी गई है और उत्पादन यूनिट का निरीक्षण किया जा रहा है। स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा है कि यदि लापरवाही पाई गई तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी, जिसमें लाइसेंस रद्द करने से लेकर आपराधिक मामला दर्ज करना भी शामिल हो सकता है।
पिछले कुछ वर्षों में भारत से निर्यात की गई दवाओं को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सवाल उठे हैं। अफ्रीका और एशिया के कुछ देशों में भारतीय सिरप से बच्चों की मौत के मामले सामने आए थे। इस घटना के बाद सरकार घरेलू बाजार में भी निगरानी और सख्ती बढ़ा रही है, ताकि इस तरह की लापरवाही दोबारा न हो।
फिलहाल, राज्यों को सात दिन के भीतर अपनी जांच रिपोर्ट भेजने को कहा गया है। केंद्र ने लोगों से अपील की है कि अगर किसी घर में कोल्डरिफ सिरप मौजूद है तो उसका इस्तेमाल तुरंत बंद कर दें और नज़दीकी स्वास्थ्य केंद्र को इसकी जानकारी दें। यह कदम न केवल जांच को तेज करेगा, बल्कि और ज़िंदगियां बचाने में मददगार भी साबित हो सकता है।