गोवर्धन पूजा पर क्यों बनाया जाता है अन्नकूट? जानिए इसके धार्मिक और स्वास्थ्य लाभ

दीपावली के अगले दिन देशभर में गोवर्धन पूजा और अन्नकूट उत्सव मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को विविध प्रकार के पकवानों का भोग लगाया जाता है, जिसे “अन्नकूट” कहा जाता है। मंदिरों और घरों में यह प्रसाद भक्तों के बीच बांटा जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अन्नकूट न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि शरीर के लिए वरदान भी माना जाता है?

क्या है अन्नकूट?

अन्नकूट का अर्थ होता है — “अन्न का पर्वत”। इस दिन घरों और मंदिरों में बाजरे की खिचड़ी, कढ़ी, पूरी और मौसमी सब्जियों का मिश्रण तैयार किया जाता है। कई जगहों पर बाजरे की खिचड़ी में पालक, मेथी, गाजर, मटर, मूली जैसी हरी सब्जियां मिलाकर पौष्टिक व्यंजन बनाया जाता है।

स्वास्थ्य की दृष्टि से अन्नकूट का महत्व

कार्तिक माह की शुरुआत में मौसम बदलने से संक्रमण फैलने लगता है। इस समय खांसी, जुकाम, बुखार, आंखों में जलन और स्किन इंफेक्शन जैसी समस्याएं आम होती हैं। ऐसे में अन्नकूट शरीर को संक्रमण से बचाने में मदद करता है।

बाजरे की खिचड़ी प्रोटीन से भरपूर होती है और गर्म तासीर की होती है। यह सर्दी से बचाती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है।

कढ़ी शरीर में कैल्शियम की पूर्ति करती है और शरीर को गर्म रखती है। हालांकि, जिन लोगों को कफ की समस्या है, उन्हें इसका सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए।

हरी सब्जियों का मिश्रण शरीर को आवश्यक विटामिन और फाइबर प्रदान करता है, जिससे मौसमी बीमारियों से रक्षा होती है।

धार्मिक मान्यता

मान्यता है कि अन्नकूट बनाने से घर में अन्न की कभी कमी नहीं होती। रसोई हमेशा भोजन और सब्जियों से भरी रहती है। भगवान श्रीकृष्ण को अन्नकूट अर्पित करने से घर में समृद्धि और सुख-शांति बनी रहती है।