नाक के रोग

नकसीर (नाक से रक्त गिरना) (Epistaxis)

पहला प्रयोग: फिटकरी का पानी बनाकर उसकी कुछ बूँदें नाक में डालें। इसके अलावा, दूर्वा के रस या निबौली के तेल की कुछ बूँदें नाक में डालने से भी नकसीर में लाभ होता है।

दूसरा प्रयोग: 10 से 50 मिलीलीटर हरे आँवलों के रस में 2 से 10 ग्राम मिश्री मिलाकर पीने से पुराने नकसीर में भी लाभ होता है।

तीसरा प्रयोग: नकसीर के रोगी को ताजी धनिया का रस सूंघाने से तथा उसकी हरी पत्तियाँ पीसकर सिर पर लेप करने से गर्मी के कारण होने वाली नकसीर में लाभ होता है।

चौथा प्रयोग: आम की गुठली के रस का नस्य (नाक से सूंघना) लेने से लाभ होता है।

घ्राणशक्ति का अभाव (घ्राणशक्तिनाशक रोग)

इस रोग में मरीज को नाक द्वारा किसी भी प्रकार की गंध का अहसास नहीं होता। ऐसे मरीज को लहसुन की पत्तियों अथवा कलियों के रस की बूँदें नाक में डालने से लाभ होता है।

नाक की हड्डी का बढ़ जाना

इस समस्या में कभी ऑपरेशन न करवायें। आगे के प्रकरण के अनुसार उपवास करें और सर्दी-जुकाम की चिकित्सा दो-तीन माह तक करते रहें।


नोट: ऊपर दिए गए नुस्खे प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति के अनुसार हैं। किसी भी नुस्खे को आजमाने से पहले चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।

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