बांग्लादेश राजनीतिक संकट: भारत की चिंताएँ और भविष्य की दिशा

मौजूदा परिदृश्य

बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार का झुकाव भारत की तरफ था, और दोनों देशों के रिश्ते बहुत ही दोस्ताना थे। लेकिन वर्तमान में बांग्लादेश में राजनीतिक संकट और अंतरिम सरकार का गठन भारत के लिए चिंता का विषय बन गया है। यह नहीं कहा जा सकता कि अंतरिम सरकार का झुकाव किसकी तरफ होगा, लेकिन संभावना है कि यह चीन की तरफ हो सकता है, जो भारत के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है।

बांग्लादेश में तख्तापलट के प्रभाव

बांग्लादेश में तख्तापलट (Bangladesh Crisis) केवल शेख हसीना के लिए ही नहीं, बल्कि भारत के लिए भी किसी चिंता से कम नहीं है। शेख हसीना के दौर का अंत हो गया है, और अब नई सरकार किसकी होगी, यह भी बड़ा सवाल है।

भारत ने 1971 के युद्ध के बाद स्वतंत्र बांग्लादेश की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, और तब से दोनों देशों के बीच 50 साल पुरानी दोस्ती रही है। लेकिन शेख हसीना के सत्ता छोड़ते ही यह दोस्ती खतरे में आ गई है। अब भारत-बांग्लादेश के बीच रिश्ते कैसे होंगे, यह तो वक्त ही बताएगा। लेकिन भारत की कई बड़ी चिंताएँ जरूर हैं।

भारत-बांग्लादेश सीमा की सुरक्षा

भारत-बांग्लादेश सीमा दुनिया के खतरनाक बॉर्डरों में से एक है। बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता के बीच इस सीमा की सुरक्षा भारत के लिए बड़ी चिंता है। भारत-बांग्लादेश के बीच 4096.70 किमी लंबा अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा बॉर्डर है, जो भारत के पांच राज्यों बंगाल, असम, मेघालय, मिजोरम, और त्रिपुरा से जुड़ा हुआ है।

अब एक बार फिर से भारत में घुसपैठ का खतरा बढ़ गया है। इस सीमा पर आतंकी गतिविधियों, घुसपैठ, अवैध तस्करी समेत तमाम तरह के खतरे बढ़ गए हैं। बांग्लादेशियों को अवैध रूप से अपनी सीमा में घुसने से रोकना भारत के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है।

बांग्लादेश में भारतीयों की सुरक्षा

बांग्लादेश में करीब 7 प्रतिशत भारतीय रह रहे हैं। मौजूदा हालात में उन नागरिकों की सुरक्षा भी भारत सरकार के लिए बड़ी चुनौती और चिंता बनी हुई है। विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश में रह रहे भारतीयों को सतर्क रहने और सीमित आवाजाही रखने की चेतावनी जारी की है।

व्यापारिक संबंधों पर प्रभाव

भारत बांग्लादेश में प्याज समेत खाने-पीने की जरूरी वस्तुओं के साथ ही बिजली, कृषि और औद्योगिक उपकरणों और पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात करता है। शेख हसीना की सरकार जाने के बाद अब यह निर्यात बाजार अनिश्चितता में घिर सकता है। बांग्लादेश भारत का 25वां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और दोनों ही देशों के बीच करीब 12.9 अरब डॉलर का कारोबार होता है।

निवेशकों के सामने संकट

बांग्लादेश में भारत ने बड़ा निवेश किया है। देश के मौजूदा हालात का असर वहां चल रही परियोजनाओं पर भी पड़ने की आशंका जताई जा रही है, जिससे निवेशकों के सामने बड़ा खतरा पैदा हो गया है। अच्छे रिश्ते होने की वजह से पिछले कुछ सालों में कई बड़ी भारतीय कंपनियों ने बांग्लादेश में पावर, टेक्सटाइल्स, फार्मास्यूटिकल्स जैसे सेक्टरों में खूब निवेश किया है। लेकिन अब हालात बदल गए हैं।

संभावित नई सरकार और उसकी चुनौतियाँ

बांग्लादेश की नई सरकार सेना समर्थित हो सकती है, जो शेख हसीना की रणनीति के उलट हो सकती है। चीन और पाकिस्तान की समर्थक मानी जाने वाली विपक्षी नेता खालिदा जिया की भी रिहाई होने जा रही है, जिससे भारत-बांग्लादेश रिश्तों पर असर देखा जा सकता है। रक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि बांग्लादेश में चल रही उथल-पुथल में पाकिस्तान का सीधा हाथ होने की संभावना है।

निष्कर्ष

बांग्लादेश में मौजूदा राजनीतिक संकट भारत के लिए कई चुनौतियाँ लेकर आया है। सीमा सुरक्षा, व्यापारिक संबंध, और भारतीय नागरिकों की सुरक्षा, सभी प्रमुख चिंता के विषय हैं। बांग्लादेश की नई सरकार का झुकाव किस तरफ होगा और इससे भारत-बांग्लादेश संबंधों पर क्या असर पड़ेगा, यह भविष्य के गर्भ में है। भारत को इस परिस्थिति में अपने हितों की रक्षा करने के लिए सटीक और सशक्त नीतियों की आवश्यकता होगी।

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