अबू धाबी के क्राउन प्रिंस जायद अल नाहयान की भारत यात्रा: द्विपक्षीय संबंधों की नई दिशा

अबू धाबी के क्राउन प्रिंस शेख खालिद बिन मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान की भारत यात्रा ने भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के बीच रिश्तों को एक नया मोड़ दिया है। यह यात्रा केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि आर्थिक, ऊर्जा और सुरक्षा के क्षेत्र में भी दोनों देशों के संबंधों को और मजबूत करने का अवसर है।

यात्रा का उद्देश्य और महत्व

इस यात्रा का एक मुख्य उद्देश्य भारत और यूएई के बीच विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों को और सशक्त करना है, खासतौर से ऐसे समय में जब मध्य पूर्व में तनाव बढ़ रहा है। क्राउन प्रिंस के साथ आए यूएई सरकार के कई मंत्री और व्यापार प्रतिनिधिमंडल ने इस दौरे को और भी महत्वपूर्ण बना दिया है। भारत में उनके स्वागत के दौरान केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने हवाई अड्डे पर क्राउन प्रिंस का गर्मजोशी से स्वागत किया। क्राउन प्रिंस की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकातों के दौरान महत्वपूर्ण द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा होगी।

द्विपक्षीय संबंधों की मजबूती

भारत और यूएई के संबंध ऐतिहासिक रूप से गहरे रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में दोनों देशों के बीच राजनीतिक, आर्थिक, निवेश, ऊर्जा, शिक्षा, और संस्कृति सहित कई क्षेत्रों में संबंधों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। 2017 में दोनों देशों के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी (Comprehensive Strategic Partnership) पर हस्ताक्षर किए गए थे, जिसने निवेश, व्यापार और तकनीकी सहयोग में नई दिशा दी।

2022-23 में दोनों देशों के बीच व्यापारिक आंकड़ा 84.05 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया, जो द्विपक्षीय व्यापार की बढ़ती संभावनाओं को दर्शाता है। खासतौर से ऊर्जा के क्षेत्र में, भारत यूएई से ऊर्जा का तीसरा सबसे बड़ा आयातक है। पहली बार भारतीय रुपए में कच्चे तेल का लेनदेन भी इसी साझेदारी का हिस्सा बना है।

मध्य पूर्व में तनाव और इसका असर

यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब मध्य पूर्व में तनाव चरम पर है। इजराइल-हमास संघर्ष और ईरान-इजराइल के बीच युद्ध की आशंका ने वैश्विक आर्थिक स्थिति को चुनौतीपूर्ण बना दिया है। क्राउन प्रिंस की इस यात्रा के दौरान इन मुद्दों पर भी चर्चा होने की संभावना है, क्योंकि मध्य पूर्व के किसी भी संघर्ष का वैश्विक अर्थव्यवस्था पर गहरा असर हो सकता है।

भारत-यूएई संबंधों की नई संभावनाएं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2015 से अब तक की यूएई यात्राएं दोनों देशों के संबंधों को एक नया आयाम देती हैं। व्यापार, निवेश, ऊर्जा, और कनेक्टिविटी के क्षेत्र में सहयोग ने दोनों देशों को और करीब लाया है। इस यात्रा के दौरान भी व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल की उपस्थिति दोनों देशों के बीच नए समझौतों और सहयोग के नए आयाम खोलने की उम्मीद पैदा करती है।

निष्कर्ष

क्राउन प्रिंस खालिद बिन मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान की यह पहली भारत यात्रा दोनों देशों के बीच संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। ऊर्जा, निवेश, व्यापार और सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर हुई चर्चा से यह यात्रा दोनों देशों के बीच एक और मजबूत पुल बनेगी।

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