टाइफून यागी: साउथ चाइना सी की तबाही, जानें कैसे बना ये साल का सबसे खतरनाक साइक्लोन

हाल ही में साउथ चाइना सी और उसके आसपास के क्षेत्रों में टाइफून यागी ने भारी तबाही मचाई है। यह तूफान चीन, वियतनाम, फिलीपींस सहित कई देशों को प्रभावित किया है, जिससे अब तक 300 से अधिक लोगों की जान चली गई है। यह तूफान एशिया का सबसे पावरफुल साइक्लोन साबित हुआ, जिसने वियतनाम और थाईलैंड के कुछ हिस्सों को जलमग्न कर दिया। इस रिपोर्ट में हम टाइफून यागी के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे, क्योंकि यह साउथ चाइना सी का चौथा कैटेगरी 5 साइक्लोन है, जो इतिहास में दर्ज किया गया है।

टाइफून यागी का कहर: तबाही के आंकड़े

टाइफून यागी का प्रभाव साउथईस्ट एशिया में लाखों लोगों पर पड़ा है। वियतनाम, फिलीपींस, चीन, लाओस और म्यांमार जैसे देशों में तूफान ने बाढ़ और भूस्खलन की स्थिति पैदा कर दी है। विशेष रूप से वियतनाम की राजधानी हनोई और इसके उत्तरी क्षेत्र को इस तूफान ने बुरी तरह प्रभावित किया।

वियतनाम में अब तक 233 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि कुल मृतकों की संख्या 300 से अधिक हो गई है। यह आंकड़ा और बढ़ सकता है, क्योंकि कई लोग अब भी लापता हैं। फिलीपींस और म्यांमार के भी कई हिस्से इस तूफान की चपेट में आए हैं, जहां जनजीवन अस्त-व्यस्त हो चुका है।

साइक्लोन का निर्माण: कैसे होता है ट्रॉपिकल साइक्लोन का विकास?

ट्रॉपिकल साइक्लोन मुख्य रूप से गर्म समुद्री जल के ऊपर बनते हैं। जब समुद्र का तापमान एक विशेष स्तर तक गर्म हो जाता है, तो वहां एक लो प्रेशर एरिया बनता है। इसके कारण एंटी-क्लॉकवाइज एयर फ्लो शुरू होती है, जिसे हम साइक्लोन के रूप में जानते हैं।

साइक्लोन का सबसे खतरनाक हिस्सा इसका केंद्र, जिसे ‘आई’ कहा जाता है, होता है। जब यह हवा धीरे-धीरे ऊपर उठती है, तो यह ठंडी होकर घने बादलों और बारिश के रूप में बदल जाती है। जैसे-जैसे यह प्रोसेस चलता है, साइक्लोन और शक्तिशाली होता जाता है।

यह ध्यान देने योग्य है कि साइक्लोन तब तक मजबूत बना रहता है, जब तक वह समुद्र के ऊपर होता है। लैंड पर आते ही इसकी ताकत कम होने लगती है क्योंकि वहां समुद्री पानी नहीं होता। हालांकि, जब यह तटीय इलाकों में पहुंचता है, तब यह सबसे अधिक तबाही मचाता है।

टाइफून यागी की कैटेगरी और ताकत

साइक्लोन की ताकत उसकी स्पीड पर निर्भर करती है। जब किसी साइक्लोन की स्पीड 60 किमी प्रति घंटा से अधिक हो जाती है, तो उसे ‘ट्रॉपिकल स्टॉर्म’ की श्रेणी में रखा जाता है। साइक्लोन को पांच श्रेणियों में बांटा जाता है, और टाइफून यागी को कैटेगरी 5 का सुपर साइक्लोन माना गया है, जिसकी स्पीड 260 किमी प्रति घंटा थी।

टाइफून यागी ने अपना सबसे ज्यादा प्रभाव वियतनाम और चीन के तटीय क्षेत्रों पर डाला। इसकी शुरुआत सितंबर के पहले सप्ताह में पश्चिमी फिलीपीन सागर में हुई थी। 1 सितंबर को फिलीपींस में इसकी चपेट में आने के बाद यह साउथ चाइना सी की ओर बढ़ा, जहां यह और भी अधिक शक्तिशाली हो गया।

टाइफून यागी की विनाशकारी यात्रा: सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र

सबसे ज्यादा तबाही वियतनाम और चीन के हैनान प्रांत में हुई। वियतनाम के उत्तरी क्षेत्र, विशेषकर हनोई, सबसे अधिक प्रभावित हुए।

इसके अलावा, म्यांमार और लाओस में भी बड़ी संख्या में लोग इस तूफान के कारण प्रभावित हुए हैं। म्यांमार की राजधानी नेपीताव में भी लोग इस तबाही से बचने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

क्या जलवायु परिवर्तन है जिम्मेदार?

इस टाइफून के पीछे एक बड़ा सवाल यह है कि क्या जलवायु परिवर्तन इस तरह के साइक्लोन की संख्या और उनकी ताकत को बढ़ा रहा है? कई वैज्ञानिकों का मानना है कि ग्लोबल वार्मिंग और बढ़ते समुद्री सतह के तापमान के कारण साइक्लोन अधिक तीव्र हो रहे हैं।

हाल की एक स्टडी में यह दावा किया गया है कि पिछले चार दशकों में सी सरफेस टेम्परेचर में 0.6 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है। इससे साइक्लोन और हरीकेन अधिक शक्तिशाली होते जा रहे हैं। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ क्लाइमेट एंड एटमॉस्फेरिक साइंस में प्रकाशित एक शोध के अनुसार, उष्णकटिबंधीय साइक्लोन कोस्टल एरिया के पास तेजी से बन रहे हैं, जिससे तटीय इलाकों में अधिक नुकसान हो रहा है।

समुद्री हीट वेव्स का प्रभाव

जैसे लैंड पर हीट वेव्स होती हैं, वैसे ही समुद्र में भी मरीन हीट वेव्स का निर्माण होता है। समुद्र के तापमान में वृद्धि से पानी का वाष्पीकरण अधिक होता है, जिससे साइक्लोन अधिक शक्तिशाली हो जाते हैं। यह प्रक्रिया जलवायु परिवर्तन के कारण और भी तेज होती जा रही है, जिससे साइक्लोन की संख्या और उनकी ताकत बढ़ती जा रही है।

निष्कर्ष

टाइफून यागी ने साबित कर दिया कि उष्णकटिबंधीय साइक्लोन कितने विनाशकारी हो सकते हैं। इसका प्रभाव साउथईस्ट एशिया के कई देशों में देखने को मिला। चाहे वह वियतनाम हो, चीन, या म्यांमार, इस तूफान ने लाखों लोगों की जिंदगी को बुरी तरह प्रभावित किया है।

आने वाले समय में, अगर जलवायु परिवर्तन की गति को कम नहीं किया गया, तो हमें ऐसे और भी विनाशकारी तूफानों का सामना करना पड़ सकता है।

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