‘सेक्सटॉर्शन’ धमकियों के आगे नहीं झुकें, ऐसे मामलों से धैर्य से निपटें : आईटीबीपी डीआईजी

नयी दिल्ली, 17 सितंबर भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के एक डीआईजी ने अपने जवानों से कहा है कि ‘सेक्सटॉर्शन’ की धमकियों के आगे नहीं झुकना ही इस तरह के साइबर अपराधों को विफल करने का सबसे प्रभावी तरीका है।

अधिकारी ने यह बात हाल ही में एक जवान द्वारा सोशल मीडिया पर ऐसी ही कथित धमकी के कारण आत्महत्या करने के बाद कही है।

चीन के साथ लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की सुरक्षा करने वाले बल आईटीबीपी के पूर्वी फ्रंटियर के लखनऊ स्थित मुख्यालय में तैनात आईपीएस अधिकारी के. संजय कुमार ने हाल ही में अपने बल के कर्मियों को दो पन्नों का एक पत्र लिखा है जिसमें कहा गया है कि उनके लिए कोई भी समस्या इतनी बड़ी नहीं है कि वे आत्महत्या करने जैसा कदम उठाएं।

पीटीआई ने उस पत्र तक पहुंच प्राप्त की है जिसमें उप महानिरीक्षक (डीआईजी) रैंक के अधिकारी ने अपना निजी मोबाइल नंबर साझा किया है और जवानों से कहा है कि यदि वे इस तरह के साइबर अपराधों का शिकार होते हैं तो वे उनसे संपर्क करें।

केरल कैडर के 2005 बैच के भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी ने कर्मियों को सोशल मीडिया पर दोस्त बनाने से परहेज करने को कहा।

उन्होंने कर्मियों से कहा कि वे साइबर अपराधियों द्वारा की जाने वाली जबरन वसूली की धमकियों के आगे न झुकें, जो ‘वयस्क चैट’ या उनसे जुड़े वीडियो जारी नहीं करने के बदले में पैसे मांगते हैं।

अधिकारी ने कहा कि साइबर अपराधी आपको “धमका सकते हैं, दबाव डाल सकते हैं और आपसे दुर्व्यवहार कर सकते हैं” लेकिन आपको धैर्य और परिपक्वता दिखाने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि उन्हें (जबरन वसूली करने वाले साइबर अपराधियों को) कोई पैसा न दें। उन्होंने कहा, ‘‘ब्लैकमेल करने वालों की आपकी छवि खराब करने का कोई इरादा नहीं होता है। वे केवल आपसे पैसे ऐंठना चाहते हैं।

अधिकारी ने जवानों से कहा, ‘‘99.99 प्रतिशत मामलों में, वे (साइबर अपराधी) वीडियो या चैट साझा नहीं करते हैं। वे आप पर दबाव बनाने की कोशिश करते हैं लेकिन जब उन्हें पता चलता है कि आप उन्हें पैसे नहीं देने वाले हैं, तो वे आपको कोसेंगे और संदेश भेजना बंद कर देंगे।

‘साइबर सेक्सटॉर्शन’ इंटरनेट की दुनिया में एक ब्लैकमेल को संदर्भित करता है जहां अपराधी किसी व्यक्ति की अश्लील तस्वीरें, चैट या वीडियो सार्वजनिक करने की धमकी देते हैं यदि उन्हें एक निश्चित राशि का भुगतान नहीं किया जाता है।

अधिकारी ने कहा कि उनकी यह सलाह इस क्षेत्र में उनके अनुभव का परिणाम है। उन्होंने अपने जवानों को आश्वस्त करते हुए कहा कि साइबर अपराधियों की जबरन वसूली की मांगों के आगे न झुकना ही ऐसे अपराधों से प्रभावी ढंग से निपटने का एकमात्र तरीका है।

अधिकारी एक विशेषज्ञ साइबर विश्लेषक हैं और उन्होंने इन अपराधों और उनसे उत्पन्न होने वाले मुद्दों पर किताबें लिखी हैं।

डीआईजी ने अपने जवानों से कहा कि इस तरह के मामले सामने आने पर “शर्मिंदा” होने की कोई बात नहीं है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पुलिस और साइबर अपराध से लड़ने वाली एजेंसियां ​​ऐसे मामलों से निपटने के दौरान “बहुत संवेदनशील हैं और गोपनीयता सुनिश्चित करती हैं।’’

कुमार ने कहा कि वह अपने सहकर्मियों को पत्र इसलिए लिख रहे हैं क्योंकि वह हाल ही में एक जवान द्वारा कथित ‘सेक्सटॉर्शन’ की मांग के बाद आत्महत्या करने से “दुखी” हैं।

डीआईजी ने लिखा, ‘‘मुझे यह जानकर दुख हुआ है और मैं उन लोगों से क्रोधित हूं जिन्होंने इस जवान को इस स्थिति में पहुंचा दिया कि उसने अपनी जान देने का फैसला किया।’’

डीआईजी ने कहा कि उन्होंने अपराधियों के खिलाफ जांच की मांग करते हुए उस जिले के पुलिस अधीक्षक (एसपी) से बात की।

अधिकारियों ने कहा कि यह पाया गया कि पीड़ित जवान ने कथित तौर पर कुछ खातों में 2.5 लाख रुपये का भुगतान किया था, जो साइबर अपराधियों के “छद्म खाते” होने का संदेह है।

अधिकारी ने अपने जवानों से कहा कि वह और उनका संगठन धोखाधड़ी और साइबर अपराध के ऐसे पीड़ितों की मदद करने के लिए तैयार है।

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