राजनाथ ने नौसेना के शीर्ष कमांडरों से कहा: किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहें

नयी दिल्ली, 19 सितंबर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय नौसेना के शीर्ष कमांडरों से उथल-पुथल वाले वैश्विक परिदृश्य के मद्देनजर किसी भी सुरक्षा चुनौती से निपटने के लिए तैयार रहने का बृहस्पतिवार को आह्वान किया और भारत की समग्र नौसैनिक क्षमता को और बढ़ाने की आवश्यकता को रेखांकित किया।

नौसेना कमांडरों के सम्मेलन में अपने संबोधन में सिंह ने कहा कि भारत को अब हिंद महासागर में तरजीही वाले सुरक्षा साझेदार के रूप में देखा जाता है और भारतीय नौसेना इस क्षेत्र में शांति और समृद्धि को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। रक्षा मंत्री ने अत्याधुनिक जहाजों और पनडुब्बियों को शामिल करके भारतीय नौसेना की लड़ाकू क्षमता को बढ़ाने के लिए सरकार के प्रयास को दोहराया।

सिंह ने कहा कि वर्तमान में भारतीय शिपयार्ड में 64 जहाज और पनडुब्बियां निर्माणाधीन हैं, और 24 अतिरिक्त प्लेटफॉर्म के लिए ऑर्डर दिए गए हैं। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, रक्षा मंत्री ने कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारतीय नौसेना की बढ़ती ताकत को हल्के में नहीं लिया जा सकता। उन्होंने कमांडरों से समय-समय पर आत्मनिरीक्षण जारी रखने का आह्वान किया।

रक्षा मंत्री ने कमांडरों से उथल-पुथल वाले मौजूदा वैश्विक परिदृश्य में हर स्थिति के लिए तैयार रहने का आह्वान भी किया। सिंह ने आर्थिक, व्यापारिक, परिवहन और समग्र राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए मजबूत नौसैनिक क्षमता की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘‘दुनिया का बड़ा व्यापार इस क्षेत्र से होकर गुजरता है, जो इसे मूल्यवान बनाता है। साथ ही, समुद्री डकैती, अपहरण, ड्रोन हमले, मिसाइल हमले और समुद्र में समुद्री केबल कनेक्शन में व्यवधान जैसी घटनाएं इसे बेहद संवेदनशील बनाती हैं।’’

उनकी इस टिप्पणी को हूती आतंकवादियों द्वारा पिछले कुछ महीनों में लाल सागर और आसपास के क्षेत्रों में विभिन्न मालवाहक जहाजों और पोतों को निशाना बनाने के संदर्भ में देखा जा रहा है।

सिंह ने कहा, ‘‘हमारी नौसेना ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र के सभी हितधारक देशों के आर्थिक हितों की रक्षा करने और हिंद महासागर क्षेत्र में माल की सुचारू आवाजाही में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘नौसेना के समुद्री डकैती विरोधी अभियानों की न केवल भारत में बल्कि विश्व स्तर पर भी सराहना हो रही है। भारत को अब इस पूरे क्षेत्र में तरजीही वाले सुरक्षा साझेदार के रूप में देखा जा रहा है। जब भी जरूरत होगी, हम इस क्षेत्र में सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे।’’

नौसेना कमांडरों का सम्मेलन शीर्ष स्तरीय अर्द्धवार्षिक आयोजन है, जिसमें महत्वपूर्ण रणनीतिक, अभियानगत और प्रशासनिक मुद्दों पर विचार-विमर्श किया जाता है। चार दिवसीय सम्मेलन मंगलवार को शुरू हुआ।

पश्चिम एशिया में उभरती भू-राजनीतिक तथा भू-रणनीतिक गतिविधियों, क्षेत्रीय चुनौतियों और समुद्री सुरक्षा स्थिति की जटिलता की पृष्ठभूमि में आयोजित यह सम्मेलन भारतीय नौसेना के भविष्य के कदमों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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