2024 का ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI) फाइनली रिलीज हो गया है, और हर बार की तरह इस पर चर्चा का माहौल है। भारत का रैंक इस बार भी 127 देशों में 105वां है, जो चिंताजनक है। खास बात यह है कि हमारे पड़ोसी देश, जिनकी आर्थिक हालत भारत से कमजोर है जैसे बांग्लादेश, श्रीलंका और नेपाल, वो भी GHI में भारत से बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं।
अब सवाल उठता है कि आखिर ग्लोबल हंगर इंडेक्स होता क्या है और इसमें भारत का प्रदर्शन कमजोर क्यों रहता है। इसके कॉम्पोनेंट्स को समझना जरूरी है, ताकि हम इस समस्या की गहराई को जान सकें।
ग्लोबल हंगर इंडेक्स: परिचय
GHI एक वार्षिक रिपोर्ट है, जिसे आयरलैंड की कंसर्न वर्ल्डवाइड और जर्मनी की वेल्थ हंगर लाइफ द्वारा जॉइंटली रिलीज किया जाता है। 2024 में इसका 19वां एडिशन पब्लिश हुआ है। इसका मुख्य उद्देश्य ग्लोबल, रीजनल और नेशनल स्तर पर हंगर की स्थिति को ट्रैक करना और उसकी गंभीरता को मापना है।
ग्लोबल हंगर इंडेक्स के चार मुख्य कॉम्पोनेंट्स
- अंडरनरिशमेंट (कुपोषण): इसका मतलब है कि जनसंख्या को पर्याप्त कैलोरी नहीं मिल रही है, जिससे उन्हें जरूरत के मुताबिक पोषण नहीं मिल पा रहा।
- चाइल्ड वेस्टिंग (बाल क्षय): 5 साल से कम उम्र के बच्चों का वजन उनकी लंबाई के अनुसार नहीं होता। यह एक्यूट अंडर न्यूट्रिशन का संकेत है।
- चाइल्ड स्टंटिंग (बाल अवरुद्ध विकास): 5 साल से कम उम्र के बच्चों की उम्र के अनुसार उनकी लंबाई कम होती है, जो क्रॉनिक अंडर न्यूट्रिशन की ओर इशारा करता है।
- चाइल्ड मोर्टालिटी (बाल मृत्यु दर): 5 साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर। यह इंडिकेट करता है कि देश में बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण की क्या स्थिति है।
2024 में भारत की स्थिति
2024 में भारत का GHI स्कोर 27.3 है, जो भारत को “सीरियस” कैटेगरी में रखता है। हालांकि 2016 के 29.3 स्कोर से यह बेहतर है, लेकिन अब भी हमें सुधार की बहुत जरूरत है। पिछले कुछ वर्षों में भारत ने कुछ प्रगति की है, जैसे 2000 में 38.4 से 2024 में 27.3 तक का सुधार, लेकिन यह काफी नहीं है।
बच्चों में कुपोषण की स्थिति
भारत में 5 साल से कम उम्र के 35.5% बच्चे स्टंटेड हैं, यानी उनकी लंबाई उनकी उम्र के अनुसार कम है। वहीं 18.7% बच्चे वेस्टेड हैं, यानी उनकी लंबाई के अनुसार उनका वजन कम है। इसके अलावा, लगभग 13.7% जनसंख्या कुपोषित है और 5 साल से कम उम्र के 2.9% बच्चों की मृत्यु हो जाती है। यह आंकड़े दिखाते हैं कि भारत को पोषण और स्वास्थ्य के क्षेत्रों में और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है।
क्षेत्रीय तुलना
भारत की तुलना में हमारे पड़ोसी देश श्रीलंका, नेपाल, म्यांमार और बांग्लादेश बेहतर स्थिति में हैं, हालांकि पाकिस्तान और अफगानिस्तान से हमारा प्रदर्शन थोड़ा बेहतर है। लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि भारत की विशाल जनसंख्या और संसाधनों की कमी को देखते हुए चुनौती बड़ी है।
भारत के लिए रास्ता आगे
भारत का GHI स्कोर हमें यह याद दिलाता है कि केवल आर्थिक विकास पर्याप्त नहीं है। हमें कुपोषण और भूख की समस्याओं को हल करने के लिए समग्र दृष्टिकोण अपनाना होगा। इसके लिए सरकार को फूड सिक्योरिटी, हेल्थ केयर, मातृ और बाल पोषण कार्यक्रमों पर विशेष ध्यान देना होगा।
भारत का सुधार केवल देश के लिए ही नहीं, बल्कि वैश्विक हंगर स्टेटिस्टिक्स पर भी बड़ा प्रभाव डाल सकता है, क्योंकि भारत की बड़ी आबादी का योगदान इन आंकड़ों में महत्वपूर्ण होता है।
निष्कर्ष
भारत का GHI स्कोर दर्शाता है कि हंगर और कुपोषण अब भी हमारे लिए गंभीर समस्याएं हैं। हमें न केवल आर्थिक विकास पर ध्यान देना होगा, बल्कि हंगर और कुपोषण से लड़ने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। इससे न केवल देश का प्रदर्शन बेहतर होगा, बल्कि वैश्विक हंगर समस्याओं में भी सकारात्मक बदलाव लाएगा।