नयी दिल्ली, 27 अक्टूबर भारतीय साइबर सुरक्षा एजेंसी ‘कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम’ (सीईआरटी-इन) ने रविवार को एक सूची साझा की, जिसमें फरेबियों द्वारा लोगों से पैसे ऐंठने और निजी डेटा चुराने के लिए इस्तेमाल किये जाने वाले ‘डिजिटल अरेस्ट’ सहित कई तरीकों का उल्लेख किया गया है।
इस सार्वजनिक परामर्श की एक प्रति पीटीआई को हासिल हुई है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में लोगों को इस तरह की धोखाधड़ी के प्रति आगाह किया है।
‘सीईआरटी-इन’ की सलाह में कहा गया है कि ‘‘डिजिटल अरेस्ट’’ एक ऑनलाइन फरेब है, क्योंकि ‘‘सरकारी एजेंसियां आधिकारिक संचार के लिए व्हाट्सएप या स्काइप जैसे प्लेटफार्मों का उपयोग नहीं करती हैं।’’
इसने सिफारिश की, ‘‘संबंधित एजेंसी से सीधे संपर्क करके उनकी पहचान सत्यापित करें।’’ परामर्श में कहा गया है कि ‘‘डिजिटल अरेस्ट’’ के मामले में, पीड़ितों को फोन कॉल, ई-मेल या संदेश प्राप्त होता है जिसमें दावा किया जाता है कि वे (पीड़ित) पहचान की चोरी या धन शोधन जैसी अवैध गतिविधियों के लिए जांच के दायरे में हैं।
परामर्श में ऐसे साइबर अपराधियों के संपर्क में आने वाले लोगों से कहा गया है कि वे ‘‘घबराएं नहीं क्योंकि फरेबी पीड़ितों को गुमराह करने के लिए भयाक्रांत करते हैं।’’
सीईआरटी-इन ने कहा, ‘‘प्रतिक्रिया देने से पहले स्थिति का शांतिपूर्वक आकलन करने के लिए कुछ समय लें। व्यक्तिगत जानकारी साझा करने से बचें और फोन या वीडियो कॉल पर, विशेष रूप से अज्ञात नंबरों पर, कभी भी संवेदनशील व्यक्तिगत या वित्तीय विवरण साझा न करें।’’
इसने इस बात पर जोर दिया कि लोगों को ‘‘दबाव में’’ धन हस्तांतरित नहीं करना चाहिए क्योंकि कानून प्रवर्तन एजेंसियां ‘‘तुरंत पैसे भेजने के लिए आप पर कभी दबाव नहीं डालेंगी।’’ इसमें कहा गया है, ‘‘यदि कोई व्यक्ति फोन या ऑनलाइन माध्यम से पैसों की मांग करता है, तो ठगी होने की अधिक आशंका है।’’
परामर्श में कहा गया है कि इस ‘‘उभरते साइबर खतरे’’ से खुद को बचाने के लिए ‘‘सतर्क रहना और जानकारी रखना’’ जरूरी है।
आकाशवाणी के मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 150वीं कड़ी में मोदी ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ के बढ़ते मामलों पर चिंता जताते हुए इससे बचने के लिए देशवासियों से ‘रुको, सोचो और एक्शन लो’ का मंत्र साझा किया और इस बारे में अधिक से अधिक जागरूकता फैलाने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि कोई भी सरकारी एजेंसी फोन पर ऐसी धमकी नहीं देती और न ही पूछताछ करती है और न वीडियो कॉल पर इस तरह से पैसे की मांग करती है।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर डर लगे तो समझिए कुछ गड़बड़ है।’’
प्रधानमंत्री ने लोगों से ऐसे मामलों में राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन 1930 पर डायल करने और साइबर क्राइम डॉट जीओवी डॉट इन पर रिपोर्ट करने के अलावा परिवार और पुलिस को सूचना देने का आह्वान किया।
परामर्श में अन्य ऑनलाइन धोखाधड़ी के बारे में भी बताया गया है, जिनमें फरेबी ऐसे ई-मेल या संदेश बनाते हैं जो वैध प्रतीत होते हैं, अक्सर विश्वसनीय संस्थानों के ‘लोगो’ और नाम का उपयोग करते हैं।