नयी दिल्ली, 16 नवंबर उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में एक सरकारी अस्पताल में आग लगने की घटना ने विवेक विहार घटना की भयावह स्मृति को ताजा कर दिया है।
राष्ट्रीय राजधानी के विवेक विहार में 25 मई की रात को सात नवजात शिशुओं की आग में झुलसकर मौत हो गई थी।
विवेक विहार में हुई घटना का दंश झेलने वाले शिशुओं के परिजनों का कहना है कि ऐसी घटनाएं तभी रुक सकती हैं जब प्रशासन संवेदनशीलता दिखाए और अस्पतालों में सुरक्षा को प्राथमिकता दे।
नवजात शिशु अस्पताल में आग लगने से अपने जुड़वा बच्चों को खोने वाली सीमा ने कहा कि अधिकारियों की लापरवाही के कारण घटना हुई।
सीमा ने कहा, “मैं उस घटना को याद नहीं करना चाहती, जिसमें मैंने अपने दो बच्चों को खो दिया। यह सिर्फ एक व्यक्ति की गलती नहीं थी। यह पूरे प्रशासन की गलती थी और वहां (झांसी में) भी ऐसा ही हुआ होगा।”
उन्होंने कहा कि जब तक इस स्थिति में सुधार नहीं किया जाता, ऐसी घटनाएं होती रहेंगी।
पूर्वी दिल्ली के विवेक विहार इलाके में स्थित निजी ‘बेबी केयर न्यू बोर्न अस्पताल’ में 25 और 26 मई की मध्य रात्रि को आग लगने की घटना में सात नवजात शिशुओं की मौत हो गई और पांच बच्चे घायल हो गए। इनमें से चार को उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई।
पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर अस्पताल के मालिक को गिरफ्तार कर लिया था, जो अभी भी सलाखों के पीछे है। जांच के दौरान पता चला कि अस्पताल को अवैध रूप से बेड की संख्या बढ़ाकर संचालित किया जा रहा था।
पुलिस जांच के अनुसार वहां आपातकालीन निकास नहीं था। साथ ही, वहां अग्निशामक यंत्र भी काम नहीं कर रहे थे।
इस घटना में
मधुराज जिनका बच्चा आग लगने की घटना में सकुशल रहा, ने कहा कि झांसी की घटना की तस्वीरें देखकर उन्हें फिर से उस घटना की पुनरावृत्ति महसूस हुई।
उन्होंने कहा कि अवैध रूप से या बिना उचित दस्तावेज के संचालित हो रहे अस्पतालों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए।
झांसी के एक सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल नवजात गहन चिकित्सा इकाई (एनआईसीयू) में शॉर्ट सर्किट के कारण आग लगने से कम से कम 10 बच्चों की मौत हो गई जबकि झुलसे सोलह शिशुओं का इलाज हो रहा है।