झांसी अस्पताल में आग से 10 नवजातों की मौत: जानिए इस दर्दनाक हादसे के कारण

उत्तर प्रदेश के झांसी में स्थित महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज में बीती रात एक भीषण आग लग गई, जिसमें 10 नवजात बच्चों की दर्दनाक मृत्यु हो गई। इस आगजनी का कारण शॉर्ट सर्किट बताया जा रहा है। यह मेडिकल कॉलेज बुंदेलखंड क्षेत्र का सबसे बड़ा उपचार केंद्र है, जहां उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के मरीज आते हैं।

यह आग NICU (नवजात गहन चिकित्सा इकाई) में लगी, जहां गंभीर हालत वाले नवजात बच्चों का इलाज किया जा रहा था। घटना के समय वहां 100 से ज्यादा बच्चे मौजूद थे, जिनमें से 37 बच्चों को सुरक्षित बचा लिया गया। लेकिन 10 नवजात बच्चों को बचाया नहीं जा सका।

आग लगने के कारण

मुख्य चिकित्सा अधीक्षक का कहना है कि आग ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में शॉर्ट सर्किट के कारण लगी। ऑक्सीजन की मौजूदगी ने आग को तेजी से फैलाया, जिससे पूरा कमरा धुएं से भर गया। इससे बचाव कार्य में काफी कठिनाई आई। प्राथमिक जांच में यह भी पाया गया कि:

  1. पुरानी बिल्डिंग: हॉस्पिटल की इमारत काफी पुरानी है और इसका मेंटेनेंस समय-समय पर नहीं किया गया।
  2. सुरक्षा मानकों की अनदेखी: फायर अलार्म और अन्य सुरक्षा उपकरण या तो काम नहीं कर रहे थे या उनके रखरखाव में कमी थी।
  3. शॉर्ट सर्किट का खतरा: अस्पतालों में बिजली का अत्यधिक उपयोग और उचित इंसुलेशन न होने की वजह से शॉर्ट सर्किट की घटनाएं आम हो जाती हैं।

प्रशासन की प्रतिक्रिया

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना पर शोक व्यक्त करते हुए जिला प्रशासन को राहत एवं बचाव कार्यों में तेजी लाने का निर्देश दिया है। साथ ही, एक जांच समिति गठित की गई है, जो 12 घंटे में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।

देशभर में ऐसे हादसे आम

यह कोई पहली घटना नहीं है, जब अस्पतालों में इस तरह के हादसे हुए हों। महाराष्ट्र, दिल्ली, और गुजरात जैसे राज्यों में भी हाल के वर्षों में अस्पतालों में आग लगने की घटनाएं देखी गईं हैं। उदाहरण के तौर पर:

  • 2021 महाराष्ट्र: सरकारी अस्पताल में आग लगने से 10 नवजात बच्चों की मृत्यु हुई।
  • 2023 दिल्ली: एक चिल्ड्रन हॉस्पिटल में आग लगने से 7 बच्चों की जान गई।
  • गुजरात: एक गेम जोन में आग लगने से 35 लोगों की मौत हुई, जिनमें कई बच्चे शामिल थे।

हादसे के कारण

  1. इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी: पुरानी और जर्जर इमारतें, जिनमें आधुनिक सुरक्षा मानकों का अभाव होता है।
  2. अति-भीड़: क्षमता से अधिक मरीजों को भर्ती करना।
  3. फायर सेफ्टी नॉर्म्स का पालन न होना: फायर अलार्म, स्प्रिंकलर, और अग्नि सुरक्षा उपकरणों की कमी।
  4. अधिकारियों की लापरवाही: नियमित निरीक्षण और मेंटेनेंस का अभाव।

संभावित समाधान

  1. सख्त नियमों का पालन: फायर सेफ्टी नॉर्म्स को सख्ती से लागू किया जाए।
  2. नए मानक और कोड: अस्पतालों के निर्माण में नए सुरक्षा मानकों को शामिल किया जाए।
  3. अभ्यास और ट्रेनिंग: स्वास्थ्यकर्मियों को नियमित अग्नि सुरक्षा प्रशिक्षण दिया जाए।
  4. फायर फाइटर्स की संख्या बढ़ाई जाए: खासकर बड़े शहरों में आबादी के हिसाब से अग्निशमनकर्मियों की संख्या बढ़ाई जाए।
  5. भ्रष्टाचार पर नियंत्रण: अस्पतालों में सुरक्षा मानकों की जांच में पारदर्शिता लाई जाए।

निष्कर्ष

यह घटना एक बड़ी लापरवाही का परिणाम है, जो हमारे देश की स्वास्थ्य सेवाओं की खामियों को उजागर करती है। हमें अस्पतालों की सुरक्षा व्यवस्था को बेहतर करने की दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है। यह जरूरी है कि इस तरह की घटनाएं भविष्य में न हों और इसके लिए हमें सुरक्षा मानकों का सख्ती से पालन करना होगा।

इस घटना ने न केवल प्रभावित परिवारों को सदमे में डाल दिया है, बल्कि पूरे देश को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि हमारे स्वास्थ्य ढांचे में क्या कमी है और इसे कैसे सुधार सकते हैं।

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