लोकसभा चुनाव के बाद मतदान के आंकड़े देरी से जारी करने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग को राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने मतदान प्रतिशत के आंकड़े उसकी वेबसाइट पर अपलोड करने के संबंध में कोई निर्देश देने से इनकार कर दिया है।
याचिका की टाइमिंग पर सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका दायर करने की टाइमिंग पर भी सवाल खड़े किए। एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) द्वारा दायर याचिका में मांग की गई थी कि लोकसभा चुनाव में मतदान के 48 घंटे के भीतर प्रत्येक मतदान केंद्र पर डाले गए मतों के आंकड़े वेबसाइट पर अपलोड किए जाएं। अदालत ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
चुनाव आयोग का पक्ष
चुनाव आयोग ने कोर्ट में अपनी दलीलें प्रस्तुत करते हुए कहा कि फॉर्म 17सी (प्रत्येक मतदान केंद्र पर डाले गए वोटों के आंकड़े) को वेबसाइट पर अपलोड करना उचित नहीं होगा। आयोग के वकील मनिंदर सिंह ने तर्क दिया कि ADR का मकसद वोटरों को भ्रमित करना है। उन्होंने यह भी बताया कि फॉर्म 17सी को स्ट्रॉन्ग रूम में सुरक्षित रखा जाता है और फाइनल डेटा में 5 से 6 प्रतिशत का फर्क होने का आरोप गलत है।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव के 5 चरण पहले ही पूरे हो चुके हैं और ऐसे में चुनाव आयोग पर प्रक्रिया बदलने के लिए दबाव डालना उचित नहीं है। अदालत ने ADR की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि 26 अप्रैल को भी इसी मुद्दे पर एक याचिका खारिज की गई थी।
निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट ने मतदान के आंकड़े देरी से जारी होने पर सवाल उठाने वाली याचिका पर कोई निर्देश देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट का मानना है कि इस समय चुनाव आयोग की प्रक्रिया में बदलाव करना सही नहीं होगा और आरोपों को गलत ठहराते हुए चुनाव आयोग को राहत प्रदान की है।