कंगाल पाकिस्तान छोड़ रहीं दिग्गज कंपनियां, बिगड़ा कारोबारी माहौल, निवेशकों का टूटा भरोसा

कंगाल होते जा रहे पाकिस्तान को अब विदेशी कंपनियों के पलायन का बड़ा झटका लगा है. रिपोर्ट के मुताबिक, देश में बढ़ते आतंकवाद, भ्रष्टाचार और अस्थिर नीतियों की वजह से बड़ी-बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियां वहां से अपना कारोबार समेट रही हैं. इस स्थिति ने इस्लामाबाद की सरकार की चिंता बढ़ा दी है. पाकिस्तान दुनिया का पांचवां सबसे ज्यादा आबादी वाला देश है, लेकिन वहां का कमजोर आर्थिक माहौल निवेशकों को अब डरा रहा है.

माइक्रोसॉफ्ट, यामाहा और पीएंडजी ने कहा अलविदा
हाल के महीनों में कई दिग्गज कंपनियों ने पाकिस्तान को ‘टाटा-बाय-बाय’ बोल दिया है. माइक्रोसॉफ्ट ने कुछ समय पहले अपना ऑपरेशन बंद किया, उसके बाद यामाहा ने भी देश से रुख मोड़ लिया. अब हाल ही में प्रॉक्टर एंड गैंबल (P&G) ने भी पाकिस्तान से बाहर निकलने का फैसला किया है. इसी तरह शेल, उबर और फाइजर जैसी कंपनियां भी पहले ही देश छोड़ चुकी हैं. विश्लेषकों के मुताबिक, इन कंपनियों के जाने का बड़ा कारण है- आर्थिक अस्थिरता, अनियंत्रित महंगाई, गिरती मुद्रा, और नीतिगत भ्रम. पाकिस्तान में कारोबार करना अब इन कंपनियों के लिए लाभ का सौदा नहीं रह गया है.

निवेशकों का टूटा भरोसा, बेहतर विकल्प की तलाश
वैश्विक वित्तीय विशेषज्ञ यूसुफ नजर का कहना है कि कंपनियां पाकिस्तान के बाजार की दीर्घकालिक क्षमता पर भरोसा खो चुकी हैं. कई कंपनियां अब अपने मुख्यालय को दुबई या सिंगापुर जैसे आर्थिक रूप से स्थिर देशों में स्थानांतरित कर रही हैं. वहां उन्हें बेहतर नीति, कर रियायतें और सुरक्षित माहौल मिलता है. कई विशेषज्ञ मानते हैं कि यह सिर्फ कंपनियों का पलायन नहीं, बल्कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में ‘अविश्वास प्रस्ताव’ जैसा संकेत है. यहां के भारी टैक्स और नीतिगत अस्थिरता ने मुनाफे की वापसी को लगभग असंभव बना दिया है.

कुछ नए निवेशक आए आगे, पर संकट गहराया
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि कुछ विदेशी निवेशक अब पाकिस्तान में मौकों की तलाश में हैं. सऊदी अरामको, गनवोर ग्रुप और बैरिक गोल्ड जैसी कंपनियां खनन और ऊर्जा क्षेत्र में निवेश की तैयारी कर रही हैं. बैरिक गोल्ड ने तो 9 अरब डॉलर के निवेश की घोषणा भी की है. हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि यह नई शुरुआत पाकिस्तान की गहराती आर्थिक और सुरक्षा चुनौतियों को पूरी तरह हल नहीं कर पाएगी. अगर सुधार नहीं हुए, तो पाकिस्तान का कारोबारी माहौल और भी बिगड़ सकता है.