हाल ही में रशिया के पूर्व राष्ट्रपति और वर्तमान में रशियन सिक्योरिटी काउंसिल के डिप्टी चेयरमैन दिमित्री मेदवेदेव का एक चौंकाने वाला बयान सामने आया — “Dead Hand” सिस्टम को लेकर। जवाब में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जो स्टैंड लिया, उसने पूरी वैश्विक राजनीति में तनाव की लहर पैदा कर दी।
Dead Hand सिस्टम: एक ‘डूम्सडे’ मैकेनिज्म
रूस में मौजूद Perimeter System को पश्चिमी देशों में Dead Hand के नाम से जाना जाता है। यह एक Cold War era का ऑटोमेटेड न्यूक्लियर रेस्पॉन्स सिस्टम है।
क्या करता है ये सिस्टम?
- यदि रूस की टॉप लीडरशिप और कमांड स्ट्रक्चर नष्ट हो जाए
- यदि देश पूरी तरह कम्युनिकेशन से कट जाए
- और अगर न्यूक्लियर हमले के संकेत मिलें (जैसे रेडिएशन, सिस्मिक एक्टिविटी आदि)
तो यह सिस्टम अपने आप न्यूक्लियर मिसाइल अमेरिका और उसके सहयोगियों पर लॉन्च कर देता है।
इसे “डूम्सडे मशीन” इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसका इस्तेमाल दुनिया के अंत जैसे हालात में होता है।
ट्रंप का जवाब: अल्टीमेटम और न्यूक्लियर सबमरीन
डोनाल्ड ट्रंप ने रूस को साफ चेतावनी दी:
“8 अगस्त तक यूक्रेन पर युद्ध बंद करें, नहीं तो नतीजे भुगतने को तैयार रहो।”
रूस की तरफ से मेदवेदेव ने इस धमकी का जवाब और भी भयावह तरीके से दिया — “अगर हम बचे नहीं, तो तुम भी नहीं बचोगे।”
इसके जवाब में ट्रंप ने रूसी सीमा के पास दो न्यूक्लियर-सुसज्जित सबमरीन तैनात कर दिए।
- क्या है इन सबमरीन की खासियत?
- महीनों तक समुद्र के नीचे छुपे रह सकते हैं
- स्टेल्थ टेक्नोलॉजी से डिटेक्ट करना लगभग नामुमकिन
- इनमें Trident II D5 मिसाइल है, जो किसी भी रूसी टारगेट को 30 मिनट में तबाह कर सकती है
ट्रंप ने कहा:
“हम मूर्खता का जवाब शब्दों में नहीं, कार्रवाई में देते हैं।”
ट्रंप की रणनीति: “कोर्सिव डिप्लोमेसी”
डोनाल्ड ट्रंप की नई विदेश नीति को एक ही शब्द में समेटा जा सकता है:
Coercive Diplomacy — ज़बरदस्त दबाव डालना।
ट्रंप इस रणनीति के तहत:
- मिलिट्री मैन्युवरिंग करते हैं (जैसे सबमरीन, B-2 बमबर्स)
- आर्थिक प्रतिबंध लगाते हैं
- और डेडलाइन के साथ सख्त वॉर्निंग देते हैं
ईरान पर भी यही देखा गया जब उन्होंने न्यूक्लियर साइट्स पर एयरस्ट्राइक की।
ग्लोबल असर: एक और कोल्ड वॉर?
इस घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं:
- क्या यह एक नया Cuban Missile Crisis बन सकता है?
- क्या रूस भी जवाब में अमेरिका के पास न्यूक्लियर सबमरीन तैनात करेगा?
- क्या ईरान को न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी ट्रांसफर होगा?
विशेषज्ञों का मानना है कि रूस इस कदम को एस्केलेशन मान सकता है और टिट-फॉर-टैट कार्रवाई कर सकता है।
⚠️ जोखिम क्या हैं?
- अनइंटेंडेड एस्केलेशन:
- अगर गलती से भी कोई मिसअंडरस्टैंडिंग हो जाती है, तो न्यूक्लियर वॉर की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
- ईरान फैक्टर:
- अगर रूस वाकई ईरान को टेक्नोलॉजी देता है, तो मध्य पूर्व में युद्ध छिड़ सकता है।
- चीन की भूमिका:
- अमेरिका के व्यस्त होते ही चीन ताइवान और साउथ चाइना सी पर आक्रामक हो सकता है।
📍 निष्कर्ष: सब कुछ अधर में
“डेड हैंड” और न्यूक्लियर सबमरीन की यह पूरी कहानी हमें यह बताती है कि आज की भू-राजनीति एक फाइन लाइन पर चल रही है, जहां कोई भी गलत कदम पूरी दुनिया के लिए विनाश का कारण बन सकता है।