एग्जाम प्रोसेस में सुधार: यूपीएससी के नये कदम

एग्जाम प्रक्रिया में पेपर लीक और फर्जीवाड़े की घटनाएं हाल ही में चर्चा का विषय रही हैं। एनडीए और नीट परीक्षाओं के पेपर लीक और पूजा खेडकर मामले ने यूपीएससी की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं। ऐसे में, यह आवश्यक हो गया है कि परीक्षा प्रणाली में सुधार किए जाएं ताकि भविष्य में ऐसे मुद्दे सामने न आएं। यूपीएससी ने इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जिससे परीक्षा प्रक्रिया को और अधिक सुरक्षित और पारदर्शी बनाया जा सकेगा।

नई तकनीकों का उपयोग

यूपीएससी ने निर्णय लिया है कि वे परीक्षा प्रणाली में अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग करेंगे। यह कदम परीक्षा प्रक्रिया में धोखाधड़ी और अनुचित साधनों को रोकने के लिए उठाया गया है। यूपीएससी ने पीएसयू को टेंडर के लिए आमंत्रित किया है, जिसमें उन्होंने नवीनतम तकनीकों का उपयोग करने की योजना बनाई है। इनमें फिंगरप्रिंट ऑथेंटिकेशन, फेशियल रिकॉग्निशन और लाइव सीसीटीवी मॉनिटरिंग शामिल हैं।

फिंगरप्रिंट और फेशियल रिकॉग्निशन

फिंगरप्रिंट और फेशियल रिकॉग्निशन तकनीक का उपयोग परीक्षा केंद्रों पर उम्मीदवारों की पहचान की पुष्टि के लिए किया जाएगा। यह तकनीक सिम कार्ड खरीदते समय आधार बेस्ड फिंगरप्रिंट ऑथेंटिकेशन की तरह काम करेगी। इसके साथ ही, कुछ एयरपोर्ट्स पर शुरू हुई डीजी यात्रा सेवा की तरह फेशियल रिकॉग्निशन तकनीक का उपयोग किया जाएगा। इस तकनीक का उपयोग परीक्षा केंद्रों पर भी किया जाएगा ताकि उम्मीदवारों की पहचान को सुनिश्चित किया जा सके।

लाइव सीसीटीवी मॉनिटरिंग

लाइव सीसीटीवी मॉनिटरिंग के साथ एआई पावर्ड कैमरों का उपयोग परीक्षा केंद्रों पर किया जाएगा। यह तकनीक उम्मीदवारों की गतिविधियों की निगरानी करेगी और किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर तुरंत अलर्ट करेगी। इससे परीक्षा प्रक्रिया को और अधिक सुरक्षित बनाया जा सकेगा।

टेंडर प्रक्रिया और शर्तें

यूपीएससी ने पीएसयू को टेंडर के लिए आमंत्रित किया है, जिसमें कुछ शर्तें रखी गई हैं। टेंडर के लिए वही पीएसयू अप्लाई कर सकते हैं जो प्रॉफिट मेकिंग एंटिटी हों और उनका एवरेज एनुअल टर्नओवर पिछले तीन सालों में कम से कम ₹100 करोड़ हो। इसके अलावा, इन पीएसयू को एग्जामिनेशन बेस्ड प्रोजेक्ट्स का अनुभव होना चाहिए।

परीक्षा प्रक्रिया में बदलाव

यूपीएससी ने यह भी घोषणा की है कि वे परीक्षा के दिन उम्मीदवारों की फिंगरप्रिंट ऑथेंटिकेशन और फेशियल रिकॉग्निशन करेंगे। परीक्षा के समय उम्मीदवार का फोटो और डाटा सर्विस प्रोवाइडर को भेजा जाएगा ताकि वे परीक्षा केंद्रों पर फिंगरप्रिंट और फेशियल रिकॉग्निशन के जरिए उम्मीदवार की पहचान की पुष्टि कर सकें। इससे इम्पर्सनेशन (दूसरे की जगह परीक्षा देने) की घटनाएं रोकी जा सकेंगी।

क्यूआर कोड स्कैनिंग

परीक्षा केंद्रों पर क्यूआर कोड स्कैनर भी लगाए जाएंगे। इससे उम्मीदवारों के एडमिट कार्ड की वैधता की पुष्टि की जा सकेगी। यह प्रक्रिया भी परीक्षा प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी बनाएगी।

आवश्यकता और महत्त्व

इन सुधारों की आवश्यकता इसलिए है क्योंकि यूपीएससी हमारे देश की एक महत्वपूर्ण संवैधानिक संस्था है। यह संस्था देश की टॉप मोस्ट पोस्ट्स के लिए उम्मीदवारों का चयन करती है। यूपीएससी सालाना 14 परीक्षाएं कंडक्ट करती है, जिनमें सिविल सर्विसेस एग्जाम भी शामिल है। 2023 में, 10 लाख उम्मीदवारों ने इस परीक्षा के लिए आवेदन किया था। इसलिए, परीक्षा प्रक्रिया में सुधार अत्यंत आवश्यक है।

निष्कर्ष

यूपीएससी के द्वारा उठाए गए इन सुधारात्मक कदमों से परीक्षा प्रक्रिया को और अधिक सुरक्षित, पारदर्शी और निष्पक्ष बनाया जा सकेगा। फिंगरप्रिंट और फेशियल रिकॉग्निशन, लाइव सीसीटीवी मॉनिटरिंग, और क्यूआर कोड स्कैनिंग जैसी तकनीकों का उपयोग करके, यूपीएससी ने परीक्षा प्रणाली को सुधारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इससे न केवल परीक्षा प्रक्रिया में धोखाधड़ी को रोका जा सकेगा, बल्कि उम्मीदवारों को भी एक निष्पक्ष और पारदर्शी परीक्षा प्रणाली का अनुभव होगा। यह कदम भविष्य में परीक्षा प्रक्रिया में विश्वास को पुनर्स्थापित करेगा और यूपीएससी की विश्वसनीयता को बनाए रखने में मदद करेगा।

Share This:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *