भारत अमेरिका से 31 MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन की खरीद के लिए बड़ा समझौता करेगा

नई दिल्ली:- भारत अगले महीने अमेरिका से 31 MQ-9B ‘हंटर-किलर’ प्रीडेटर ड्रोन खरीदने के लिए एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर करने की तैयारी कर रहा है। रक्षा मंत्रालय ने इस डील के लिए ‘ड्राफ्ट नोट’ को अंतिम रूप दे दिया है। इसके बाद इसे वित्त मंत्रालय और प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली सुरक्षा पर कैबिनेट कमेटी की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। इस सौदे की कीमत 3.9 बिलियन डॉलर (लगभग 33,500 करोड़ रुपये) बताई गई है।यह खबर ऐसे समय में आई है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21 सितंबर को अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा आयोजित चौथे क्वाड नेताओं के शिखर सम्मेलन में भाग लेने जा रहे हैं। इस डील से भारत की सैन्य ताकत में महत्वपूर्ण इजाफा होगा, खासकर ड्रोन तकनीक के क्षेत्र में।

रक्षा मंत्रालय ने डील को दी मंजूरी

रक्षा मंत्रालय की अनुबंध बातचीत समिति ने रिपोर्ट को मंजूरी दे दी है। एक सूत्र ने बताया कि इस समझौते पर अक्टूबर के मध्य में हस्ताक्षर होने की संभावना है। समझौते में लागत, MRO (रखरखाव, मरम्मत, ओवरहाल) सुविधा की स्थापना, प्रदर्शन-आधारित लॉजिस्टिक समर्थन और अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर गहन बातचीत के बाद सहमति बनी है।हालांकि, इस समझौते में सीधे तौर पर तकनीकी हस्तांतरण (ToT) शामिल नहीं होगा, लेकिन 31 ड्रोन को भारत में ही असेंबल किया जाएगा। इसके साथ ही ड्रोन-निर्माता जनरल एटॉमिक्स भारतीय कंपनियों से 30 प्रतिशत से अधिक घटकों की सोर्सिंग करेगा और डीआरडीओ और अन्य भारतीय संस्थानों को उन्नत ड्रोन विकसित करने में सहयोग देगा।भारतीय नौसेना और वायुसेना को मिलेंगे अत्याधुनिक ड्रोनइस डील के तहत 15 सी गार्जियन ड्रोन नौसेना के लिए और 8-8 स्काई गार्जियन ड्रोन सेना और वायुसेना के लिए होंगे। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब चीन और पाकिस्तान अपने सशस्त्र यूएवी बेड़े को लगातार बढ़ा रहे हैं।ड्रोन की क्षमताएंMQ-9B ड्रोन 40 घंटे से अधिक समय तक 40,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ान भरने में सक्षम हैं। ये ड्रोन 170 हेलफायर मिसाइलों, 310 GBU-39B सटीक-निर्देशित ग्लाइड बम, नेविगेशन सिस्टम और सेंसर सूट से लैस होंगे। भारत इन ड्रोन को भविष्य में स्वदेशी हथियारों, जैसे डीआरडीओ द्वारा विकसित नौसैनिक शॉर्ट-रेंज एंटी-शिप मिसाइल (NASM-SR) से भी लैस करेगा। ड्रोन का उपयोग लंबी दूरी के खुफिया, निगरानी और टोही मिशनों के अलावा, युद्ध-विरोधी और पनडुब्बी-रोधी अभियानों में भी किया जाएगा।

चीन की बढ़ती चुनौती के बीच यह डील महत्वपूर्ण

हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में चीनी नौसेना की बढ़ती उपस्थिति के मद्देनजर, यह डील भारत के लिए रणनीतिक रूप से अत्यधिक महत्वपूर्ण है। चीन की परमाणु-संचालित पनडुब्बियां और सर्वेक्षण जहाज इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण डेटा एकत्र कर रहे हैं, जिससे भारत को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।भारत को उम्मीद है कि आने वाले दो से तीन वर्षों में ड्रोन की पहली खेप उसे मिल जाएगी और इन्हें प्रमुख रणनीतिक ठिकानों पर तैनात किया जाएगा।

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