भारत की हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी: डीआरडीओ की बड़ी सफलता

परिचय: भारत ने हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में एक बड़ा कदम बढ़ाते हुए डीआरडीओ (डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन) द्वारा 120 सेकंड्स तक स्क्रैमजेट इंजन का सफल ग्राउंड टेस्ट किया है। यह परीक्षण भारत के हाइपरसोनिक मिसाइल और एडवांस्ड वेपन सिस्टम को विकसित करने में एक मील का पत्थर साबित होगा।


स्क्रैमजेट इंजन क्या है?

स्क्रैमजेट (सुपरसोनिक कंबशन रामजेट) इंजन, रामजेट का उन्नत संस्करण है। इसमें एयर का फ्लो मैक 5 (साउंड की स्पीड से पांच गुना तेज) से ज्यादा की गति पर भी स्थिर रहता है। यह इंजन एयर-ब्रीदिंग तकनीक का उपयोग करता है, जिसमें वायुमंडल से तेजी से एयर इंटेक कर उसे कंप्रेस किया जाता है।

  • रामजेट बनाम स्क्रैमजेट: रामजेट इंजन मैक 3 तक ही प्रभावी है, जबकि स्क्रैमजेट इंजन मैक 5 और उससे अधिक की स्पीड पर भी कार्य करता है।
  • फ्यूल और सामग्री: इस इंजन में उन्नत थर्मल बैरियर कोटिंग और विशेष प्रकार के फ्यूल का उपयोग किया गया है, जो इसे उच्च तापमान और दबाव में भी सुरक्षित रखता है।

डीआरडीओ का योगदान:

डीआरडीओ के हैदराबाद स्थित डीआरडीएल (डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट लेबोरेटरी) ने यह परीक्षण किया। इस तकनीक पर भारत पिछले दो दशकों से कार्य कर रहा है। 2016 में इसरो ने 5 सेकंड तक स्क्रैमजेट इंजन का सफल परीक्षण किया था, और अब 120 सेकंड तक का यह टेस्ट एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।


हाइपरसोनिक मिसाइल और इसके फायदे:

हाइपरसोनिक मिसाइल सिस्टम्स की गति मैक 5 से अधिक होती है। यह तकनीक आधुनिक युद्ध प्रणाली में एक गेम-चेंजर साबित हो सकती है।

  • स्पीड और मैनवेबिलिटी: इन मिसाइलों की उच्च गति और दिशा बदलने की क्षमता इन्हें दुश्मन के लिए लगभग अजेय बनाती है।
  • ऑक्सीजन इंटेक: यह तकनीक अलग से ऑक्सीजन कैरी करने की आवश्यकता को खत्म करती है, जिससे सेटेलाइट लॉन्च और अन्य मिशनों में भार कम किया जा सकता है।

वैश्विक परिदृश्य:

हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी में अमेरिका, रूस, चीन, और जापान जैसे देश पहले से सक्रिय हैं। 2021 में चीन ने न्यूक्लियर कैपेबल हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल का सफल परीक्षण किया था। भारत अब इस क्षेत्र में तेजी से प्रगति कर रहा है।


भविष्य की दिशा:

डीआरडीओ की यह सफलता भारत के डिफेंस और स्पेस प्रोग्राम के लिए नई संभावनाएं खोलती है।

  • सैटेलाइट लॉन्चिंग: स्क्रैमजेट तकनीक का उपयोग भविष्य में भारी सैटेलाइट्स को लॉन्च करने में किया जाएगा।
  • मिसाइल सिस्टम: हाइपरसोनिक मिसाइल्स भारत की रणनीतिक क्षमता को और मजबूत करेंगी।

निष्कर्ष:

डीआरडीओ का यह परीक्षण भारत की वैज्ञानिक और तकनीकी क्षमताओं को दर्शाता है। यह सफलता न केवल भारत की सुरक्षा को मजबूती प्रदान करेगी, बल्कि इसे वैश्विक स्तर पर नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी।

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