भविष्य में महामारी को रोकने के लिए भारत का कदम: पैंडमिक फंड प्रोजेक्ट

कोविड-19 महामारी ने पूरी दुनिया को एक ऐसे संकट में डाल दिया जिसने इंसानियत को झकझोर कर रख दिया। यह घटना एक सटीक उदाहरण है कि किसी अज्ञात बीमारी का प्रसार कितनी तेजी से वैश्विक स्तर पर तबाही मचा सकता है। इस त्रासदी के बाद यह स्पष्ट हो गया कि भविष्य में किसी भी संभावित महामारी को रोकने और उसके प्रभाव को कम करने के लिए ठोस कदम उठाना आवश्यक है। इसी कड़ी में भारत सरकार ने “एनिमल हेल्थ सिक्योरिटी स्ट्रेंथनिंग इन इंडिया फॉर पैंडमिक प्रिपेयर्डनेस एंड रिस्पॉन्स” नामक प्रोजेक्ट लॉन्च किया है।

क्या है पैंडमिक फंड प्रोजेक्ट?

यह प्रोजेक्ट भारत में पशुओं की स्वास्थ्य सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करता है। इसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी पशु से उत्पन्न होने वाली बीमारी को समय रहते पहचाना जाए, रोका जाए और उसके प्रभाव को नियंत्रित किया जाए। यह परियोजना मछलीपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय द्वारा संचालित की जा रही है।

पैंडमिक फंड की शुरुआत और योगदान

पैंडमिक फंड की नींव 2022 में इंडोनेशिया में आयोजित G20 सम्मेलन के दौरान रखी गई। इसका उद्देश्य निम्न और मध्यम आय वाले देशों को महामारी से निपटने की उनकी क्षमता को मजबूत करना है। फंड के पहले चरण में $2 बिलियन की धनराशि जुटाई गई थी, जिसमें 37 देशों के 19 प्रोजेक्ट्स को मंजूरी मिली। भारत ने इस फंड से $25 मिलियन का आवंटन प्राप्त किया है, जिसे 2026 तक पूरा किया जाएगा।

प्रोजेक्ट के प्रमुख उद्देश्य

  1. बीमारियों की शुरुआती पहचान और निगरानी: देशभर में एकीकृत रोग निगरानी प्रणाली और अर्ली वॉर्निंग सिस्टम को मजबूत करना।
  2. लैबोरेटरी नेटवर्क का विकास: पशुओं से संबंधित बीमारियों की जांच के लिए अत्याधुनिक प्रयोगशालाएं स्थापित करना।
  3. डेटा एनालिटिक्स और रिस्क मैनेजमेंट: सटीक और प्रभावी डेटा सिस्टम तैयार करना।
  4. मानव संसाधन क्षमता में वृद्धि: विशेषज्ञों की संख्या और उनकी दक्षता में वृद्धि करना।
  5. संस्थागत क्षमताओं को मजबूत करना: संस्थानों के बीच बेहतर तालमेल और क्षमता विकास।

भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है यह प्रोजेक्ट?

  • जूनोटिक बीमारियों का खतरा: जूनोटिक बीमारियां, जो पशुओं से मनुष्यों में फैलती हैं, वैश्विक स्वास्थ्य संकट का मुख्य कारण हैं। WHO के अनुसार, पिछली छह सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थितियों में से पांच जूनोटिक थीं।
  • जलवायु परिवर्तन का प्रभाव: जलवायु परिवर्तन और ग्लेशियरों के पिघलने से पुरानी बीमारियों के पुनः उभरने की संभावना बढ़ रही है।
  • भारत में पशुधन का महत्व: भारत में लगभग 53 करोड़ पशुधन हैं, जिनकी स्वास्थ्य सुरक्षा राष्ट्रीय और वैश्विक स्वास्थ्य के लिए अनिवार्य है।
  • ग्लोबल हेल्थ सिक्योरिटी इंडेक्स: भारत का स्कोर 42.8 है, जो उच्च जोखिम वाले देशों में से एक है।

प्रोजेक्ट से अपेक्षित लाभ

  1. देशभर में वैक्सीन निर्माण की सुविधा का विस्तार।
  2. शुरुआती चेतावनी प्रणाली में सुधार।
  3. स्वास्थ्य संकट के दौरान मानव संसाधन की बेहतर तैयारी।
  4. डेटा और जोखिम विश्लेषण में उन्नति।
  5. संस्थागत क्षमता के अंतराल को भरना।

निष्कर्ष

यह प्रोजेक्ट एक दूरदर्शी कदम है जो भारत को न केवल महामारी से बचाव के लिए तैयार करेगा, बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा को भी मजबूती प्रदान करेगा। कोविड-19 ने हमें सिखाया है कि किसी भी स्वास्थ्य संकट से निपटने के लिए प्रीवेंटिव मेजर्स सबसे महत्वपूर्ण हैं। इस पहल के जरिए भारत न केवल अपनी जनता को सुरक्षित रखने के लिए प्रतिबद्ध है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी एक मजबूत साझेदार के रूप में उभर रहा है।

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