पिछले वर्ष सरकार ने लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक प्रस्तुत किया था। किसी भी विधेयक को पारित होने में लंबा समय लगता है, क्योंकि उसे पहले संसदीय समिति के पास भेजा जाता है। इस विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेजा गया था, जिसमें सत्तारूढ़ दल और विपक्ष दोनों के सदस्य होते हैं। इस समिति का उद्देश्य विधेयक की सूक्ष्म समीक्षा करना और आवश्यक संशोधन सुझाना होता है।
JPC की भूमिका और संशोधन
संयुक्त संसदीय समिति ने हाल ही में वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को अपनी स्वीकृति दे दी है। हालांकि, इसमें 14 संशोधनों को स्वीकार किया गया है, जबकि विपक्ष द्वारा प्रस्तावित 44 संशोधनों को अस्वीकार कर दिया गया है।
वक्फ क्या है?
वक्फ का अर्थ है ईश्वर के नाम पर समर्पित संपत्ति, जिसका उपयोग धार्मिक या परोपकारी कार्यों के लिए किया जाता है। इस्लामी कानून में, वक्फ एक स्थायी समर्पण होता है, जिसे एक बार घोषित करने के बाद वापस नहीं लिया जा सकता। यह संपत्ति मूवेबल और इम्मूवेबल दोनों प्रकार की हो सकती है और इसका उपयोग शैक्षणिक संस्थानों, मस्जिदों, कब्रिस्तानों और आश्रय गृहों के लिए किया जाता है।
वक्फ अधिनियम 1995
वक्फ अधिनियम 1995 के अंतर्गत वक्फ बोर्ड का गठन किया गया था, जिसमें प्रत्येक राज्य में एक वक्फ बोर्ड कार्यरत होता है। ये बोर्ड वक्फ संपत्तियों का प्रशासन करते हैं और उनके उपयोग को नियंत्रित करते हैं। भारत में वर्तमान में 99.4 लाख एकड़ भूमि और 8.7 लाख वक्फ संपत्तियाँ हैं, जिनका कुल मूल्य 1.2 लाख करोड़ रुपये बताया जाता है।
वक्फ संशोधन विधेयक 2024 के मुख्य बिंदु
- संपत्तियों का अनिवार्य पंजीकरण: सभी वक्फ संपत्तियों को जिला कलेक्टर के साथ अनिवार्य रूप से पंजीकृत करना होगा।
- गैर-मुस्लिम सदस्यों की भागीदारी: वक्फ बोर्ड में अब गैर-मुस्लिम सदस्य भी हो सकते हैं।
- वक्फ संपत्तियों का निर्धारण: पहले यह अधिकार जिला कलेक्टर के पास था, लेकिन अब इसे राज्य सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारी को सौंपा जाएगा।
- पूर्ववर्ती संपत्तियों पर प्रभाव नहीं: संशोधित विधेयक पिछली पंजीकृत वक्फ संपत्तियों पर लागू नहीं होगा।
- वक्फ संपत्तियों की व्यावसायिक लीज: अब वक्फ बोर्ड को अपनी संपत्तियों को व्यावसायिक रूप से लीज पर देने की अनुमति होगी, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
विपक्ष का रुख और आपत्ति
विपक्ष ने 44 संशोधन प्रस्तावित किए थे, जिन्हें अस्वीकार कर दिया गया। मुख्य आपत्तियाँ निम्नलिखित थीं:
- वक्फ बोर्ड में सरकार की दखलंदाजी बढ़ जाएगी।
- सदस्यों की नियुक्ति चुने गए सदस्यों की बजाय सरकारी नामांकन से होगी।
- गैर-मुस्लिमों को शामिल करने से वक्फ बोर्ड का पारंपरिक स्वरूप प्रभावित होगा।
- वक्फ संपत्तियों की व्यावसायिक लीज से धार्मिक उद्देश्यों में कमी आ सकती है।
आगे की प्रक्रिया
- 29 जनवरी 2025: संयुक्त संसदीय समिति में विधेयक पर अंतिम मतदान होगा।
- 31 जनवरी 2025: संशोधित रिपोर्ट संसद में प्रस्तुत की जाएगी।
- बजट सत्र 2025: सरकार इस विधेयक को संसद से पारित कराने की कोशिश करेगी।
- राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद, यह कानून बन जाएगा।
निष्कर्ष
वक्फ संशोधन विधेयक 2024 सरकार के नियामक सुधारों का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रशासन को अधिक पारदर्शी और उत्तरदायी बनाना है। हालांकि, विपक्ष ने इसमें सरकार की बढ़ती भूमिका को लेकर सवाल उठाए हैं। अब देखना यह होगा कि संसद में इस विधेयक को कितनी आसानी से पारित किया जाता है और इसका भविष्य में क्या प्रभाव पड़ता है।