यकृत (लीवर) और प्लीहा (तिल्ली) के रोगों के लिए प्राकृतिक उपचार

यकृत (लीवर) और प्लीहा (तिल्ली) के रोग हमारे स्वास्थ्य के लिए गंभीर समस्याएं बन सकते हैं। लेकिन, आयुर्वेदिक और प्राकृतिक उपचारों का उपयोग करके इन रोगों से राहत पाई जा सकती है। यहाँ कुछ कारगर उपाय दिए गए हैं, जो इन रोगों में लाभकारी साबित हो सकते हैं।

1. यकृत (लीवर) रोगों के लिए उपाय

पहला प्रयोग: साबूत चावल का सेवन

प्रतिदिन सुबह खाली पेट एक चुटकी साबूत चावल को बिना चबाए निगल लें और उसके ऊपर से पानी पी लें। यह सरल उपाय लीवर से संबंधित रोगों में आराम देता है और लीवर की कार्यक्षमता में सुधार करता है।

दूसरा प्रयोग: सुदर्शनवटी का उपयोग

सुदर्शनवटी नामक आयुर्वेदिक दवा 1 से 4 गोलियाँ, दिन में तीन बार लेने से लीवर और प्लीहा के दर्द में राहत मिलती है। यह यकृत के विषाक्त पदार्थों को साफ करने में मदद करती है और पाचन तंत्र को सुधारती है।

तीसरा प्रयोग: अनार और कुंवारपाठे का रस

प्रतिदिन 20 से 50 मिलिलीटर अनार का रस पीने से लीवर की समस्या में लाभ मिलता है। साथ ही, 20 मिलिलीटर कुंवारपाठे (एलोवेरा) के रस में 1 से 5 ग्राम हल्दी मिलाकर पीने से लीवर के कार्यों में सुधार होता है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

2. प्लीहा (तिल्ली) रोगों के लिए उपाय

चौथा प्रयोग: पपीते की पुल्टिस और दूध

प्लीहा की वृद्धि या सूजन होने पर पपीते की पुल्टिस बनाकर उसे प्रभावित क्षेत्र पर बाँधने से सूजन में राहत मिलती है। साथ ही, दिन में तीन बार पपीते का आधा चम्मच दूध और एक चम्मच मिश्री मिलाकर खिलाने से तिल्ली के रोग में सुधार देखा गया है।

एलोपैथी में लीवर के उपचार की सीमाएं

एलोपैथी में यकृत के लिए कोई स्थायी उपचार नहीं है, लेकिन आयुर्वेदिक उपाय लीवर की कार्यक्षमता को बढ़ाने और रोगों से निपटने में सहायक हो सकते हैं।


सभी प्रकार के शूल (पेट दर्द) रोगों के लिए प्राकृतिक उपचार

शूल या पेट में दर्द कई कारणों से हो सकता है, जैसे आंतों में मल का जमाव, अपच, गैस आदि। यहाँ पेट दर्द के लिए कुछ कारगर घरेलू उपाय दिए गए हैं।

1. पहला प्रयोग: अरण्डी का तेल

गर्म पानी में 1-2 तोला अरण्डी का तेल मिलाकर पीने से आंतों में जमा मल साफ हो जाता है और आंतों के दर्द में राहत मिलती है। यह उपाय पेट के शूल में तुरंत राहत देता है।

2. दूसरा प्रयोग: सोंठ, सेंधा नमक और हींग

2 ग्राम सोंठ, 1-1 ग्राम सेंधा नमक और हींग को पीसकर पानी के साथ लेने से पेट के शूल (पेट दर्द) में आराम मिलता है। यह मिश्रण गैस और अपच को दूर करने में भी मददगार होता है।

3. तीसरा प्रयोग: राई और त्रिफला का मिश्रण

राई के 1 से 2 ग्राम चूर्ण और त्रिफला के 2 से 5 ग्राम चूर्ण को शहद और घी के साथ मिलाकर लेने से पेट के विभिन्न प्रकार के शूल में लाभ होता है। यह न केवल पेट के दर्द को कम करता है, बल्कि पाचन को भी सुधारता है।

4. चौथा प्रयोग: अजवायन और काला नमक

अजवायन 250 ग्राम और काला नमक 60 ग्राम लें और इसे किसी काँच या चीनी के बर्तन में डालें। इतना नींबू का रस डालें कि ये दोनों वस्तुएँ डूब जाएँ। इस मिश्रण को छायादार स्थान पर रखें और जब नींबू का रस सूख जाए, तो फिर से रस डालें। यह प्रक्रिया 5 से 7 बार करें। जब दवा तैयार हो जाए, तो 2 ग्राम इस मिश्रण को भोजन के बाद गुनगुने पानी के साथ लें। यह पेट के सभी प्रकार के रोगों को दूर करने में सहायक है, जैसे अपच, अफरा, उल्टी, और पेट दर्द।

निष्कर्ष

प्राकृतिक और आयुर्वेदिक उपचार लीवर और प्लीहा के रोगों से लेकर पेट के शूल तक, कई समस्याओं में राहत प्रदान कर सकते हैं। ये उपाय सरल और प्रभावी होते हैं और शरीर पर बिना किसी हानिकारक प्रभाव के काम करते हैं।

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