नयी दिल्ली, 19 नवंबर केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय को बताया है कि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने दिव्यांग बच्चों के लिए ई-सामग्री तैयार करने के सिलसिले में दिशानिर्देश जारी किये गए हैं, जो स्कूली शिक्षा के लिए लागू होंगे।
सरकार ने कहा कि एनसीईआरटी ने 2022-2023 के दौरान कुछ राज्यों में शिक्षकों और अन्य हितधारकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किए हैं।
केंद्र ने शीर्ष अदालत में एक हलफनामा दाखिल किया है, जो जावेद आबिदी फाउंडेशन की याचिका पर सुनवाई कर रही है। याचिका में दिव्यांग छात्रों की ऑनलाइन कक्षाओं में अन्य छात्रों के समान भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए विशिष्ट दिशानिर्देश जारी करने के निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
यह मामला मंगलवार को न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया।
केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने मामले में सरकार द्वारा दाखिल हलफनामे का हवाला दिया।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता संचिता ऐन ने एक अन्य मामले में शीर्ष अदालत द्वारा 8 नवंबर को दिये गए फैसले का हवाला दिया।
उस फैसले में शीर्ष अदालत ने केंद्र को तीन महीने के भीतर अनिवार्य सुलभता मानकों को लागू करने का निर्देश दिया था।
पीठ ने कहा कि इस याचिका में शामिल मुद्दे उस याचिका में उठाए गए मुद्दों के समान ही हैं, जिस पर शीर्ष अदालत ने 8 नवंबर को फैसला सुनाया था।
पीठ ने कहा, ‘‘इसलिए यह उचित होगा कि इन दोनों मामलों की एक साथ सुनवाई की जाए और उन पर एक साथ विचार किया जाए।’’
इसने उच्चतम न्यायालय की रजिस्ट्री से कहा कि वह फाउंडेशन द्वारा दायर याचिका को उस याचिका के साथ सूचीबद्ध करे, जिस पर फैसला सुनाया गया था।
हलफनामे में कहा गया है, ‘‘एनसीईआरटी ने दिव्यांग बच्चों के लिए ई-पाठ्य सामग्री तैयार करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं, जो स्कूली शिक्षा के लिए लागू होंगे।’’