NEET परीक्षा के परिणामों को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। छात्रों के बीच गुस्सा और निराशा बढ़ती जा रही है। हरियाणा के एक ही सेंटर से सात विद्यार्थियों को एक साथ 720 में से 720 अंक मिलना संदेहास्पद है। पिछले साल दो विद्यार्थियों को मुश्किल से 720 अंक मिले थे, लेकिन इस साल 67 विद्यार्थियों ने 720 अंक प्राप्त किए हैं। इससे उन विद्यार्थियों को सरकारी कॉलेज मिलने की उम्मीद धूमिल हो गई है, जिन्हें पहले एडमिशन मिलने की संभावना थी।
महाराष्ट्र के सात विद्यार्थियों ने भी 720 में से 720 अंक प्राप्त किए हैं। छात्रों का कहना है कि ग्रेस मार्क्स, 718 और 719 अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों की संख्या बढ़ गई है। NTA ने इस पर सफाई दी है, लेकिन छात्रों का सवाल है कि ग्रेस मार्क्स बायोलॉजी में दिए गए हैं या फिजिक्स में, क्योंकि फिजिक्स में ग्रेस मिलने से रैंक पर काफी असर पड़ता है।
छात्रों का कहना है कि परीक्षा का रीटेस्ट न सही, लेकिन परिणाम की दोबारा जांच कर उसे फिर से प्रकाशित किया जाना चाहिए। NEET के परिणाम 14 जून को आने थे, लेकिन उन्हें 4 जून को ही क्यों प्रकाशित कर दिया गया? NTA को इसका जवाब देना होगा।
कई विद्यार्थियों के लिए यह तीसरा या चौथा प्रयास था और उनके घर में पैसों की दिक्कत के चलते एमबीबीएस पढ़ने का सपना अब शायद ही पूरा हो सके। पिछले साल और इस साल के परिणामों में एक ही रैंक पर 15000 से 30000 रैंक्स का अंतर है। कुछ नतीजों में कम अंक वाले को उच्च रैंक और ज्यादा अंक वाले को कम रैंक दिया गया है।
छात्रों का कहना है कि मेहनत कर ईमानदारी से स्कोर किए छात्रों को अब प्राइवेट कॉलेज में एडमिशन लेने के लिए और ज्यादा पैसे खर्च करने होंगे। इस स्थिति का जिम्मेदार कौन है? सरकार ने आश्वासन तो दे दिया है, लेकिन इस पर कार्रवाई कब की जाएगी? जिस दिन चुनाव के नतीजे आए, उसी दिन NEET के नतीजे क्यों घोषित करने पड़े?
इस मामले में छात्रों ने सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग की है और निष्पक्ष जांच की मांग की है ताकि भविष्य में ऐसे विवादों से बचा जा सके।
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