कंट्रेल्स से बचाव पर आधारित नई स्टडी: जलवायु परिवर्तन को कम करने की दिशा में एक बड़ा कदम

हाल ही में प्रकाशित एक नए अध्ययन ने इस चिंता को दूर किया है कि विमानों के उड़ान मार्गों को बदलकर जलवायु-वार्मिंग कंट्रेल्स से बचने की कोशिश करने से जलवायु परिवर्तन बढ़ सकता है। सोरबोन यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए इस शोध से पता चलता है कि उत्तरी अटलांटिक के ऊपर से उड़ान भरने वाले विमानों के लिए कंट्रेल्स से बचना अधिक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन के बावजूद जलवायु के लिए अधिक फायदेमंद साबित हो सकता है।

कंट्रेल्स का जलवायु पर प्रभाव

कंट्रेल्स विमानों द्वारा छोड़ी गई सफेद रेखाएँ होती हैं, जो उच्च ऊंचाई पर उड़ान के दौरान बनती हैं। ये रेखाएँ वायुमंडल में गर्मी को फँसाने का काम करती हैं, जिससे वैश्विक तापमान में वृद्धि होती है और जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा मिलता है। इस नए अध्ययन ने इस बात की जांच की कि क्या विमानों के मार्ग बदलकर कंट्रेल्स बनने से बचने का लाभ जलवायु पर सकारात्मक असर डाल सकता है, भले ही इसके लिए विमानों को अधिक ईंधन खर्च करना पड़े।

अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष

शोधकर्ताओं ने यह निष्कर्ष निकाला है कि कंट्रेल्स से बचने के लिए उड़ानों का मार्ग बदलने से उत्पन्न होने वाला अतिरिक्त CO2 उत्सर्जन जलवायु पर उतना प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालता जितना कि कंट्रेल्स का निर्माण। CO2 और कंट्रेल्स के जलवायु प्रभावों की तुलना करने के लिए कई तरीके प्रस्तावित किए गए हैं, जिसे CO2 तुल्यता कहा जाता है। हालांकि यह तुल्यता का चुनाव काफी हद तक राजनीतिक रहा है, लेकिन अध्ययन से यह साफ हुआ है कि उत्तरी अटलांटिक उड़ानों के लिए कंट्रेल्स से बचने का जलवायु लाभ स्पष्ट है।

कंट्रेल्स और CO2 के प्रभाव

कंट्रेल्स और CO2 उत्सर्जन के बीच जलवायु प्रभाव की तुलना करना आवश्यक है, क्योंकि दोनों ही जलवायु पर हानिकारक प्रभाव डाल सकते हैं। लेकिन यह नया अध्ययन बताता है कि उत्तरी अटलांटिक उड़ानों के मामले में कंट्रेल्स से बचने के लाभ CO2 उत्सर्जन से होने वाले नुकसान से कहीं अधिक हैं।

यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग के सह-लेखक प्रोफेसर निकोलस बेलौइन का कहना है, “कंट्रेल्स से बचने के लिए उड़ानों को पुनर्निर्देशित करना सैद्धांतिक रूप से विमानन के जलवायु प्रभाव को कम कर सकता है और हवाई यात्रा को अधिक टिकाऊ बना सकता है।” यह शोध इस बात का सबूत देता है कि अगर कंट्रेल्स से बचने के लिए उड़ानों को सही तरीके से मार्ग बदलने का काम किया जाए, तो जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में यह एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।

उत्तरी अटलांटिक उड़ानों का जलवायु अध्ययन

इस अध्ययन में 2019 में उत्तरी अटलांटिक के ऊपर से गुज़रने वाली लगभग 5 लाख उड़ानों के डेटा का विश्लेषण किया गया। शोधकर्ताओं ने देखा कि इन उड़ानों से उत्पन्न कार्बन डाइऑक्साइड और कंट्रेल्स ने कितनी गर्मी पैदा की है और यह भविष्य में कैसे जलवायु को प्रभावित करेगा। उनके विश्लेषण के अनुसार, ये उड़ानें 2039 तक जलवायु को 17 माइक्रोकेल्विन (mK) तक गर्म कर देंगी और 2119 तक यह आंकड़ा 14 mK तक पहुँच सकता है।

कंट्रेल्स से बचाव के फायदे

अध्ययन ने एक वैकल्पिक स्थिति की कल्पना की, जहाँ विमान अपने मार्ग में 1% अधिक ईंधन का उपयोग करके सभी कंट्रेल्स से बच सकते हैं। इस स्थिति में, 2039 तक कुल गर्मी में 29% की कमी हो सकती है और 2119 तक यह कमी 14% तक हो सकती है। इस तरह के बदलाव से विमानों के मार्ग बदलने के बावजूद जलवायु पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

कंट्रेल्स से बचने की रणनीतियाँ

अध्ययन से यह पता चला कि कंट्रेल्स से बचने का प्रयास विमानों के मार्ग बदलने से कहीं अधिक सफल हो सकता है, अगर इसे सही ढंग से लागू किया जाए। हालाँकि, यह अभी भी एक चुनौती है कि कंट्रेल्स कहाँ बनेंगे और वे कितनी गर्मी पैदा करेंगे, इसका सटीक अनुमान लगाना कठिन है। शोधकर्ताओं का सुझाव है कि पहले उन उड़ानों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए, जो सबसे अधिक गर्मी पैदा करने वाले कंट्रेल्स बनाते हैं।

निष्कर्ष

इस अध्ययन से स्पष्ट है कि कंट्रेल्स से बचने के लिए विमानों के मार्ग बदलने से जलवायु पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इससे विमानों के अधिक कार्बन उत्सर्जन के बावजूद जलवायु लाभ होगा। यह शोध विमानन उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण दिशा में कदम बढ़ाने का संकेत देता है, जहाँ कंट्रेल्स से बचने और उड़ानों को पर्यावरण-अनुकूल बनाने की दिशा में और भी प्रयास किए जा सकते हैं।

Share This:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *