मणिपुर हिंसा के पीछे ईसाई मिशनरियों का खेल

नई दिल्ली: मणिपुर में कुकी उग्रवादियों के बढ़ते आतंक को लेकर राजनीतिक माहौल गरमा गया है। बीजेपी नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के 27 विधायकों ने सोमवार रात एक महत्वपूर्ण बैठक में प्रस्ताव पास किया। इसमें जिरीबाम जिले में तीन महिलाओं और तीन बच्चों की निर्मम हत्याओं की कड़ी निंदा करते हुए कुकी उग्रवादियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर अभियान चलाने की मांग की गई है।विधायकों ने सात दिनों के भीतर कुकी उग्रवादियों को “गैरकानूनी संगठन” घोषित करने और मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंपने का आह्वान किया। उन्होंने केंद्र से इस क्षेत्र में सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम (AFSPA) लागू करने पर भी जोर दिया, ताकि स्थिति पर प्रभावी नियंत्रण सुनिश्चित किया जा सके।

विधायकों की चेतावनी

एनडीए विधायकों ने चेतावनी दी है कि अगर इन प्रस्तावों पर समयबद्ध तरीके से कार्रवाई नहीं हुई, तो वे मणिपुर की जनता से राय लेकर आगे की रणनीति तय करेंगे। बैठक में विधायकों और मंत्रियों की संपत्तियों पर हाल में हुए हमलों की निंदा की गई और इन मामलों पर कानूनी कार्रवाई की मांग भी की गई।

मुख्यमंत्री का आश्वासन

मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने बयान जारी कर राज्य में शांति बहाल करने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि राज्य और केंद्र सरकारें सभी आवश्यक कदम उठा रही हैं।दूसरी ओर, कांग्रेस ने मणिपुर में बीजेपी सरकार की विफलताओं पर निशाना साधा। वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने सवाल उठाया कि मुख्यमंत्री द्वारा बुलाई गई बैठक में केवल 26 विधायक ही शामिल हुए, जबकि मणिपुर विधानसभा में कुल 60 विधायक हैं।जयराम रमेश ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “यह स्थिति मुख्यमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व पर सवाल खड़े करती है। मणिपुर की जनता की पीड़ा कब खत्म होगी?”

गहराता राजनीतिक संकट

कांग्रेस ने एनडीए गठबंधन के भीतर दरारों को उजागर करने की कोशिश की है। एनपीपी के चार विधायकों की भागीदारी के बावजूद, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पहले ही बीजेपी को समर्थन वापस लेने की चेतावनी दे चुके हैं।मणिपुर में तनावपूर्ण स्थिति के बीच यह प्रस्ताव राजनीतिक और प्रशासनिक स्तर पर बड़ा प्रभाव डाल सकता है। राज्य में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करना सरकार के लिए चुनौती बना हुआ है।

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