नई दिल्ली:- शनिवार को दिल्ली के करतार नगर इलाके में तीसरी सनातन धर्म संसद का आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम में द्वारकापीठ के शंकराचार्य सदानंद सरस्वती,
कुबेरेश्वर धाम के पंडित प्रदीप मिश्रा, कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर, हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास सहित देश के कई प्रमुख संत, साध्वी और कथावाचक शामिल हुए। आयोजन में एक हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
सनातन बोर्ड की मांग
कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने धर्म संसद में वक्फ बोर्ड की तर्ज पर सनातन बोर्ड बनाने की मांग की। उन्होंने कहा,> “हमें अपने धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए एक मजबूत संगठन की आवश्यकता है। वक्फ बोर्ड जैसे संगठनों की तरह ही हमें भी अपने हितों की रक्षा के लिए सनातन बोर्ड का गठन करना चाहिए।”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि तिरुपति बालाजी मंदिर में भक्तों को चर्बी मिलाकर प्रसादम खिलाया गया। साथ ही, चौथी धर्म संसद अगले वर्ष प्रयागराज में कुंभ मेले के दौरान आयोजित करने की घोषणा की।
शंकराचार्य सदानंद सरस्वती का संदेश
द्वारकापीठ के शंकराचार्य सदानंद सरस्वती ने हिंदुओं को एकजुट होने का आह्वान किया। उन्होंने कहा,> “यदि हम अपने स्वधर्म को नहीं पहचानेंगे, तो अपमानित होना हमारी नियति बन जाएगी। संविधान ने सभी को रहने का अधिकार दिया है, लेकिन हमारी एकता और संस्कृति पर प्रहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सरकार को घुसपैठ रोकने के लिए सख्त कदम उठाने चाहिए।”
पंडित प्रदीप मिश्रा की अपील
कुबेरेश्वर धाम के पंडित प्रदीप मिश्रा ने शस्त्र और शास्त्र की अहमियत पर जोर दिया। उन्होंने कहा,> “जितने सदस्य आपके घर में रहते हैं, सभी के पास शस्त्र और शास्त्र दोनों होने चाहिए। हमारे देवता भी बिना शस्त्र के नहीं चलते। हमें अपनी रक्षा के लिए तैयार रहना चाहिए।”
महंत राजू दास का संबोधन
हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास ने हिंदुओं को जागरूक होने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा,> “जम्मू-कश्मीर से भगाए गए हिंदुओं का हाल देखिए। दिल्ली की झुग्गी-झोपड़ियों में जीवन बिताना पड़ रहा है। अब बांग्लादेश से भी मारे-काटे जा रहे हैं। हिंदुस्तान ही हमारे लिए सुरक्षित स्थान है। अगर हिंदू और सनातनी जागरूक नहीं होंगे, तो संकट और गहरा होगा।”
आयोजन के प्रमुख वक्ता
दोपहर 1 बजे से शाम 5 बजे तक चले इस कार्यक्रम में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी, कथावाचक सरस्वती मां, और अन्य संतों ने भी भाग लिया। सभी वक्ताओं ने सनातन धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए एकजुट होने की अपील की।निष्कर्षइस धर्म संसद में हिंदुओं की एकता, सनातन धर्म की रक्षा और सनातन बोर्ड के गठन जैसे मुद्दों पर जोर दिया गया। चौथी धर्म संसद की घोषणा के साथ यह कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।