भारत पर अमेरिकी टैरिफ़: फायदा किसे, नुकसान किसे?

अमेरिका ने भारत से आने वाले सामान पर टैरिफ़ यानी आयात शुल्क बढ़ा दिए हैं। उनका इरादा था कि भारत को आर्थिक दबाव में लाया जाए, ताकि वह अपनी नीतियाँ बदलने पर मजबूर हो। लेकिन अर्थशास्त्री रिचर्ड वोल्फ़ का कहना है कि ये चाल उलटी पड़ रही है। उन्होंने साफ कहा, “ये वैसा है जैसे चूहा हाथी को काटने की कोशिश करे।”

मतलब ये कि भारत इतना बड़ा और मज़बूत बाज़ार है कि इन टैरिफ़ से उसे खास फर्क नहीं पड़ता। बल्कि उल्टा असर यह हो रहा है कि भारत अमेरिका से दूरी बनाकर BRICS जैसे समूह की तरफ और तेज़ी से झुक रहा है। BRICS में रूस, चीन, ब्राज़ील और दक्षिण अफ्रीका जैसे देश पहले से अमेरिका के खिलाफ एक मज़बूत मोर्चा बना चुके हैं। भारत का झुकाव बढ़ने से इस गुट की ताक़त और बढ़ जाएगी।

आम भाषा में कहें तो अमेरिका भारत को नुकसान पहुँचाने निकला था, लेकिन खुद ही फँस गया। भारत जैसा बड़ा व्यापारिक साझेदार धीरे-धीरे हाथ से निकल रहा है। इससे अमेरिकी कंपनियों को भी दिक्कत होगी, क्योंकि भारत उनके लिए एक बड़ा उपभोक्ता बाज़ार है।

रिचर्ड वोल्फ़ की बातों में यही इशारा है कि ये टैरिफ़ भारत पर दबाव डालने के बजाय अमेरिका के लिए ही मुसीबत बन जाएंगे। यानी अमेरिका ने ग़ुस्से में ऐसा कदम उठा लिया है, जिससे उसका ही ज्यादा नुकसान तय है।