हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में फूड ईटरीज और फूड जॉइंट्स के लिए सख्त नियम लागू करने का फैसला लिया है, जिसका असर फाइव स्टार होटल्स से लेकर छोटे ढाबों तक पड़ेगा। इस फैसले का मुख्य उद्देश्य सार्वजनिक स्वास्थ्य और स्वच्छता को सुनिश्चित करना है, जिसके चलते मामला कोर्ट तक भी जा सकता है। राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस निर्णय के पीछे पारदर्शिता और पब्लिक सेफ्टी को मुख्य आधार बताया है।
फूड आउटलेट्स पर नए नियम
सरकार के निर्देश के अनुसार, सभी फूड आउटलेट्स को अपने मालिक, ऑपरेटर और मैनेजर्स का नाम और पता डिस्प्ले करना अनिवार्य होगा। इसके अलावा, शेफ और वेटर्स के लिए मास्क और ग्लव्स पहनना जरूरी होगा। फूड सेफ्टी सुनिश्चित करने के लिए पूरे राज्य में सभी फूड जॉइंट्स, चाहे वह बड़े हों या छोटे, पर सीसीटीवी कैमरे लगाने का भी आदेश दिया गया है। इसका उद्देश्य यह है कि हर फूड आउटलेट में हो रही गतिविधियों पर निगरानी रखी जा सके और किसी भी तरह की लापरवाही या अशुद्धि को तुरंत पकड़ा जा सके।
नियमों का पालन और चुनौतियाँ
इस फैसले से छोटे फूड जॉइंट्स और ढाबों पर भी नियम लागू होंगे, जिसके चलते इन नियमों के पालन में कुछ चुनौतियाँ उत्पन्न हो सकती हैं। उत्तर प्रदेश के अंदर सैकड़ों छोटे-छोटे ढाबे हैं, जहां सीसीटीवी इंस्टॉलेशन और अन्य उपायों को लागू करना एक बड़ा काम होगा। क्या हर ढाबे पर वेटर्स मास्क और ग्लव्स पहनेंगे? क्या सीसीटीवी कैमरे हर जगह लगाए जा सकेंगे? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जो इस फैसले को लेकर उठ रहे हैं।
नियमों के पीछे की वजह
सरकार ने यह कदम हाल ही में उत्तर प्रदेश में सामने आए कुछ फूड से जुड़े गंभीर मामलों के बाद उठाया है। उदाहरण के तौर पर, सहारनपुर में एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें एक बच्चा रोटी बनाते समय उसमें थूकता दिखा, जिससे पब्लिक में आक्रोश फैल गया। गाजियाबाद में एक जूस वेंडर के खिलाफ शिकायत आई थी कि उसने जूस में यूरिन मिलाया। नोएडा में दो व्यक्तियों को जूस में सलाइवा मिलाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इन घटनाओं ने फूड सेफ्टी को लेकर लोगों में चिंता बढ़ा दी है, जिसके बाद सरकार ने सख्त कदम उठाने का निर्णय लिया है।
कानूनी सुधार और कोर्ट की प्रतिक्रिया
सरकार फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट में संशोधन पर भी विचार कर रही है ताकि इन नियमों को कानूनी रूप से लागू किया जा सके और कोर्ट में किसी प्रकार की चुनौती से बचा जा सके। इससे पहले कावड़ यात्रा के दौरान फूड जॉइंट्स के नाम और जानकारी को डिस्प्ले करने का निर्देश सुप्रीम कोर्ट में विवाद का विषय बन चुका था, जहां इसे डिस्क्रिमिनेटरी बताया गया और स्टे लगा दिया गया। ऐसे में इस बार कोर्ट की प्रतिक्रिया पर सभी की नजरें टिकी होंगी।
समग्र उद्देश्य
उत्तर प्रदेश सरकार का यह निर्णय राज्य में एक साफ-सुथरे और सुरक्षित फूड एनवायरनमेंट को बढ़ावा देने के लिए है। सरकार का कहना है कि इन कदमों से पब्लिक का विश्वास बहाल होगा और फूड प्रोडक्ट्स में हो रही मिलावट पर रोक लगेगी। इस तरह के कठोर नियम लागू करने से न केवल लोगों के स्वास्थ्य की सुरक्षा होगी, बल्कि फूड आउटलेट्स की जवाबदेही भी बढ़ेगी।
सरकार का मकसद साफ है—फूड सेफ्टी और सार्वजनिक स्वास्थ्य के साथ किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जाएगा, और इसके लिए सख्त नियम लागू करना समय की जरूरत है।